कई युवा स्कूल, कॉलेज या किसी कंपटीशन की परीक्षाओं में फेल होने के बाद खुद को असफल मानने लगते हैं। वो निराश हो जाते हैं और उम्मीद खोने लगते हैं। लेकिन ऐसे छात्रों या अभ्यर्थियों को आईपीएस अफसर आदित्य की यह कहानी जरुर पढ़नी चाहिए। आदित्य की सफलता की कहानी उन हजारों-लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो परीक्षा में फेल होने का मतलब जिंदगी में फेल होना मान लेते हैं। राजस्थान के एक गांव के रहने वाले आदित्य के माता-पिता सरकारी स्कूल में पढ़ाते थे। आदित्य ने कक्षा 8 तक गांव के ही एक स्कूल से पढ़ाई-लिखाई की। इसके बाद वो भदरा स्थित जिला मुख्यालय (हनुमानगढ़) स्कूल चले गये। यहां से उन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की। एक खास बात यह भी है कि आदित्य की सारी-पढ़ाई लिखाई हिंदी माध्यम से ही हुई है।
स्कूल, कॉलेज की परीक्षाओं के बाद अब वक्त नौकरी के लिए परीक्षा देने का। आदित्य ने एक साक्षात्कार में बताया था कि उन्होंने करीब 30 प्रतियोगी परीक्षाएं दी और इन सभी में वो फेल हो गए। इसमें AIEEE, स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस, बैंकिग और केंद्रीय विद्यालय संगठन की परीक्षाएं शामिल हैं। एक-एक कर इतनी सारी परीक्षाओं में असफल होने के बावजूद भी आदित्य ने कभी भी निराशा को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। आदित्य 20 घंटे की पढ़ाई किया करते थे। लेकिन कठिन श्रम करने के बावजूद वो बार-बार असफल हो रहे थे।
आदित्य ने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। आदित्य एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे तो जाहिर है कि नौकरी का दबाव उनपर था। आदित्य जब इंजीनियर बनने की कोशिश में नाकाम हुए तब उनके पिता ने उन्हें सिविल सर्विस की तैयारी करने के लिए प्रेरित किया। साल 2013 में सिविस सर्विस की तैयारी करने के लिए आदित्य ने अपना गांव छोड़ा और दिल्ली चले आए।
हालांकि, आदित्य के लिए इसके आगे का सफर भी आसान नहीं रहा। साल 2014 में आदित्य पहली बार सिविल सर्विस की परीक्षा में शामिल हुए लेकिन प्रीलिम्स भी क्लियर नहीं कर पाए। इसके बाद अगले साल वो प्रीलिम्स और मेन क्लियर करने में कामयाब रहे पर इंटरव्यू में असफल हो गए। दिलचस्प बात यह है कि लगातार यूपीएससी में नाकाम रहने के बावजूद आदित्य का आत्मविश्वास कम नहीं हुआ था बल्कि वो और भी ज्यादा आत्मविश्वास से भर चुके थे।
2016 में भी उन्हें इस परीक्षा में नाकामी हाथ लगी। उन्होंने अपनी पिछली गलतियों से सबक लिया और साल 2017 में एक बार फिर इस परीक्षा में शामिल हुए। इस बार आदित्य ने अपनी तमाम नाकामियों को पीछे छोड़ दिया और सफल हुए। आदित्य पंजाब कैडर के एक आईपीएस अधिकारी बने थे।