राजस्थान हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम बापू को राहत नहीं दी है। हाई कोर्ट ने आसाराम की उस तीसरी अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में सजा पर रोक लगाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा आरोपों की गंभीरता को देखते हुए आसाराम को जमानत नहीं दी जा सकती है।

आसाराम की तीसरी बार सजा स्थगन याचिका को यह कहते हुए खारिज किया गया कि आरोपी इसी तरह के अपराधों के लिए गुजरात में चल रहे एक अन्य मुकदमे में अभी भी हिरासत में है। कोर्ट ने बताया कि इससे पहले भी इस तरह की याचिका दी गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। आसाराम के इस मामले की सुनवाई राजस्थान हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ कर रही थी।

खंडपीठ के समक्ष आसाराम की ओर से दिल्ली के वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने याचिका पेश करते हुए पैरवी की। आसाराम का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने उन्हें इस आधार पर जमानत पर रिहा करने की मांग की कि अपीलकर्ता लगभग 83 वर्ष का वृद्ध व्यक्ति है और कई बीमारियों से पीड़ित है। उन्होंने तर्क दिया कि आसाराम करीब 9 साल और 7 महीने से हिरासत में हैं ऐसे में उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।

इसके अलावा, वरिष्ठ अधिवक्ता कामत ने यह भी तर्क दिया कि सीआरपीसी की धारा 391 के तहत गवाह अजय पाल लांबा को तलब करना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस पर रोक लगा दी है। ऐसे में अपील की सुनवाई और निर्णय की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस आधार पर आजीवन कारावास की सजा हुई है वह प्रथम दृष्टया अपराध नहीं बना है। साथ ही उन्होंने बार-बार मुकदमे में स्थगन को लेकर भी पक्ष रखा।

वरिष्ठ अधिवक्ता की अपील पर कोर्ट ने कहा कि, “इस केस में सभी तरह के तथ्यों को जानने-समझने, आरोपों की प्रकृति और गंभीरता को देखते हुए हमारा फैसला यह है कि अपीलकर्ता जमानत का पात्र नहीं है। इसलिए सजा के निलंबन के लिए तत्काल आवेदन खारिज कर दिया जाता है।” बता दें कि, इससे पहले कोर्ट ने गुजरात में आसाराम के खिलाफ चल रहे मुकदमे की स्थिति की मांग की थी।

ऐसे में राज्य सरकार की ओर से एएजी अनिल जोशी ने कहा कि गुजरात के मामले में अभी अभियोजन पक्ष की ओर से बयान करवाए जा रहे हैं। वहीं गुजरात मामले में उनको किसी तरह की राहत नहीं मिली है। ऐसे में सजा स्थगन याचिका को मंजूर नहीं किया जाए। बता दें कि, आसाराम को अप्रैल 2018 में जोधपुर में एक विशेष पॉक्सो कोर्ट द्वारा आईपीसी की धारा 370 (4), 342, 506, 376(2) (F) और 376 D के तहत दोषी करार देकर उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।