जिस परिवार ने अपनी आंखों के सामने घर के तीसरे बेटे की मौत देखी हो उनकी हालत का आप अंदाजा लगा सकते हैं। उनकी आंखें खामोश हैं। वे बहुत कुछ कहना चाहते हैं मगर अब उन्हें कोई सुनने वाला नहीं है। उनके बुढ़ापा का कोई सहारा नहीं है। वे अब किससे क्या उम्मीद करें। उनकी हंसती-खेलती दुनिया अब तबाह हो चुकी है। वे चुपचाप अपनी आंखों से आंसू बहा रहे हैं। उनका दर्द चेहरे से साफ दिखाई दे रहा है। ऐसा लगता है कि अब उन्हें किसी से कोई उम्मीद नहीं है। उन्होंने तीन बेटों को खोकर ऐसा दर्द पाया है जिसे अब भुलाया नहीं जा सकता है। जरा सोचिए 70 साल के उस पिता का क्या हाल होगा जो अपने घर के तीसरे बेटों की मौत पर चुप हो गया है। उसकी पत्नी की आंखें उससे हजारों सवाल कर रही हैं। जैसे तुमने मेरे बेटे को क्यों नहीं बचाया…
हम जिनकी बात कर रहे हैं उनका नाम जोरा सिंह है। वे 70 साल के हैं। उनकी पत्नी की नाम गुरमेल कौर है। उनकी उम्र 65 साल है। दोनों मोगा के भलूर गांव में रहते हैं। वे अपने 37 साल के सबसे छोटे बेटे मनप्रीत सिंह की मौत पर शोक जता रहे हैं। जिसकी मौत ड्रग्स के ओवरडोज़ के कारण हुई है। सात साल पहले इनके बड़े बेटे गुरप्रीत सिंह की मौत हो गई थी। उसकी भी मौत चिट्टे (हेरोइन) के ओवरडोज़ लेने से हुई थी। इस जोड़े ने पिछले साल अपने भतीजे जगजीत सिंह की मौत पर मातम मनाया था। इस तरह इस परिवार के तीन बेटों की एक-एक करते मौत हो गई।
जोरा सिंह अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश करते हुए कहते हैं कि हत्थ बन्न बेनती है…जेहदा एह पंजाब च चिट्टा चालेया है, एह बंद कित्ता जावे। साडे तिन्न मुंडे इसी झक छ मर गए हैं..हूं साडा कोई वाली वारिस नहीं।
गुरमेल कौर ने बिलखते हुए कहा कि मनप्रीत पिछले 6-7 साल से नशे का आदी था। शुक्रवार (25 अगस्त) को उसने चिट्टे का सेवन किया और अस्वस्थ महसूस करने लगा। इसके बाद वह गिर गया। हम उसे अस्पताल ले गए। उसे फरीदकोट के गुरु गोबिंद सिंह सरकारी मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन वह बच नहीं सका।
पुलिस ने कहा कि मेडिकल कॉलेज से मिली सूचना में कहा गया है कि मनप्रीत की मौत नशीली दवाओं के ओवरडोज के कारण हुई है। मनप्रीत की मां के अनुसार, उसने अपनी लत को पूरा करने के लिए पिछले एक साल में अपने घर की हर कीमत बेच दी थी। “ट्रैक्टर, बिस्तर, बाइक, गेहूं की बोरियां, बर्तन… उसने कुछ भी नहीं छोड़ा। उन्होंने ड्रग्स खरीदने के लिए सब कुछ बेच दिया।”
उन्होंने आगे कहा कि मनप्रीत का भाई गुरप्रीत उससे तीन साल बड़ा था। उसकी भी मौत चिट्टे की अधिक खुराक लेने के कारण हुई थी। भाई की मौत के बाद मनप्रीत ने ड्रग्स लेना शुरू कर दिया। गुरप्रीत भी नशे का आदी था और हमसे जबरन पैसे लेता था।
गांव के सरपंच पाला सिंह ने कहा कि पिछले साल जोरा सिंह के भाई के बेटे जगजीत सिंह की भी ओवरडोज़ से मौत हो गई थी। वह वॉशरूम में खुद को इंजेक्शन लगा रहा था लेकिन उसने ज़्यादा मात्रा में इंजेक्शन ले लिया। वह सिरिंज भी नहीं निकाल सका और उसकी मौत हो गई।
अब इन मासूम बच्चों की देखभाल कौन करेगा?
गुरमेल कौर का कहना है कि गुरप्रीत अपने पीछे चार बेटियां छोड़ गया है। जबकि मनप्रीत के पास एक बेटा है। अब इन बच्चों की देखभाल कौन करेगा? मेरे पति काम करने के लिए अब बहुत बूढ़े हो चुके हैं। परिवार में कोई नहीं बचा…चिट्टा ने हमारे परिवार को बर्बाद कर गिया। “मेरे बेटों ने ड्रग्स खरीदने के लिए कर्ज लिया था। अब हम इसे चुकाने की हालत नहीं हैं। हमने चिट्टा के कारण अपने परिवार के तीन बेटों को खो दिया है। कोई सरकार कुछ नहीं कर दी।”
सरपंच पाला सिंह ने कहा “जो लोग कहते हैं कि पंजाब में नशा बंद हो गया है या उनकी बिक्री और खपत कम हो गई है उन्हें गांवों में आकर देखना चाहिए। अब कोई डर नहीं है। हर नुक्कड़ और कोने में नशीले पदार्थ बेचे जा रहे हैं और जो लोग ड्रग तस्करों को रोकते हैं उन्हें पीटा जाता है, डराया जाता है और मार भी दिया जाता है। वे मोटरसाइकिल और कारों में घूमते हैं। वे गांवों में युवाओं को ड्रग्स बेचते हैं। पिछले पांच सालों में हमारे गांव में ड्रग्स के कारण कम से कम 15 मौतें हुई हैं।”
इस मामले में सब-इंस्पेक्टर जसविंदर सिंह ने कहा कि पुलिस ने मनप्रीत को हेरोइन बेचने के आरोप में करणवीर कौर और गुरप्रीत सिंह को गिरफ्तार किया है। आरोपी बहन-भाई की जोड़ी के खिलाफ धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और एनडीपीएस अधिनियम की धारा 21 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन्होंने आगे कहा कि फरीदकोट मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स के अनुसार, मनप्रीत सिंह की मौत अधिक ड्रग्स लेने के कारण हुई है। जांच के मुताबिक मनप्रीत को ड्रग्स गांव में रहने वाले आरोपी भाई-बहन ने दिया था। वे गांव के लोगों को ड्रग्स बेचते थे। उनके पास से 5 ग्राम हेरोइन और 25,000 रुपये बरामद हुए हैं।
हाल ही में सरपंच ने अपने गांव में बढ़ती नशीली दवाओं की समस्या को लेकर मुख्यमंत्री भगवंत मान से मुलाकात की थी। उन्होंने आरोपियों की गिरफ्तारी का स्वागत करते हुए पूछा, “क्या सरकार बता सकती है कि मृतकों के बुजुर्ग माता-पिता, पत्नियों और बच्चों का अब क्या होगा…उन्हें कौन खिलाएगा?”
जोरा सिंह एक किसान हैं। उनके पास सिर्फ 1.5 एकड़ जमीन है। उसे भी उनके बेटे ने गिरवी रख दिया था। उन्होंने अब सरकार से कर्ज माफ करने और उन्हें आर्थिक मदद करने का आग्रह किया है ताकि वे अपने पोते-पोतियों को पढ़ा सकें और उनका पालन-पोषण कर सकें। बुजुर्ग पिता ने कहा, “हम भगवंत मान से आग्रह करते हैं कि वे पंजाब में इस चिट्टे को रोकें जो एक के बाद एक परिवार को खा रहा है। साणु माडी मोदी सहैता दित्ती जावे। हुण कोई नहीं कमाऊं वाला… (कृपया हमारी कुछ मदद दें। हमारे पास अब कमाने के लिए कोई नहीं बचा है)।”