उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक संदिग्ध और फर्जी एफआईआर दर्ज कराने वाले गिरोह के सरगना को क्लीन चिट देने के बाद कई पुलिसवाले रडार में हैं। जब इस मामले में पोल खुली तो पुलिस ने फर्जी प्राथमिकी दर्ज करने वाले गिरोह के सरगना आमिर महमूद के खिलाफ नए सिरे से जांच शुरू कर दी है।

प्रयागराज में कुछ समय पहले मदरसा व कुछ संगठन से जुड़े लोगों ने बताया था कि आमिर महमूद के ऊपर कई मामले दर्ज हैं, बजाए इसके मौइमा पुलिस ने जनवरी में महमूद को क्लीन चिट दे दी और जांच के निष्कर्ष में बताया कि वह ‘अच्छी प्रतिष्ठा’ वाला व्यक्ति है। हालांकि, इस मामले में एडीजी (जोन) प्रेम प्रकाश ने एक गोपनीय जांच के बाद नए सिरे से जांच के आदेश दे दिए हैं।

संगठनों के प्रतिनिधियों की शिकायत के बाद ही बीते 4 अक्टूबर को मौइमा के काजियाना कला इलाके के रहने वाले आमिर महमूद को गिरफ्तार किया गया था। आमिर के खिलाफ की गई दूसरी पुलिस जांच में सामने आया कि वह वास्तव में फर्जी प्राथमिकी दर्ज करने वाले गिरोह का सरगना था। महमूद एक गिरोह चला रहा था जो फर्जी मामले दर्ज करने, संपत्ति हड़पने और रंगदारी की मांग करने में संलिप्त है। महमूद अब तक एक दर्जन से अधिक मामले मौइमा और एक कोतवाली थाने में दर्ज करा चुका है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि कुछ पुलिस वाले भी महमूद की मदद कर रहे हैं।

अब इस मामले में पुलिस अधिकारियों ने संकेत दिया है कि “जिन पुलिसकर्मियों ने फर्जी प्राथमिकी दर्ज करने में शामिल गिरोह के कथित सरगना आमिर महमूद को क्लीन चिट दी थी, उन पर कार्रवाई की संभावना है।” एचटी की रिपोर्ट में बताया गया है कि कई पुलिस अधिकारियों ने स्वीकार किया कि महमूद को क्लीन चिट देने वाले पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच की जा रही है और आगे कार्रवाई हो सकती है।

इससे पहले महमूद के खिलाफ मौइमा थाने में मदरसे व संगठन से जुड़े व्यक्ति मोहम्मद उमर व अन्य की शिकायत पर रंगदारी और आईपीसी की अन्य धाराओं की मांग को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। मोहम्मद उमर ने दावा किया कि उन्होंने जनवरी में एसएसपी कार्यालय में आमिर महमूद के खिलाफ शिकायत दी थी, जिसके बाद जांच मौइमा पुलिस को सौंप दी गई थी।

इसी प्रकरण में संबंधित पुलिस ने एसएसपी को एक रिपोर्ट भेजकर दावा किया कि महमूद के खिलाफ सभी आरोप झूठे थे और वह अच्छी प्रतिष्ठा का व्यक्ति है। इस जांच रिपोर्ट को एक उप निरीक्षक (SI) द्वारा तैयार किया गया था, जिसे एसएचओ (SHO) और अंचल अधिकारी (CO) द्वारा पुष्ट किया गया था।