यह साल था 2013 और महीना था मई का। उत्तर पश्चिमी दिल्ली के भीड़-भाड़ वाले इलाके ब्रिटानिया चौक के फुटपाथ पर एक युवक पड़ा हुआ था। युवक के फुटपाथ पर पड़े होने की खबर जैसे ही फैली पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने मौके पर युवक की थोड़ी ही पड़ताल की तो पता चला कि उसके जिस्म पर चाकू से गोदे जाने के निशान हैं और उसका काफी खून बह चुका है। आनन-फानन में पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने युवक की पहचान करने के लिए उसके जेब की तलाशी ली लेकिन युवक के पास पर्स, मोबाइल या ऐसी कोई दूसरी चीज नहीं थी जिससे की उसकी पहचान की जा सके। यह केस पुलिस के लिए पूरी तरह से ब्लाइंड था। सवाल कई थे। मसलन – यह युवक कौन है? किसने और क्यों उसे चाकू से गोदा? क्या यह किसी रंजिश का नतीजा है? या फिर किसी ने उससे मोबाइल और पर्स को लूट कर उसे जान से मार दिया? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए सबसे जरुरी था युवक की पहचान होना। अचानक उस वक्त पुलिस की नजर युवक के शर्ट के जेब में पड़ी एक पर्ची पर पड़ी। इस पर्ची में युवक का नाम, पता या कोई फोन नंबर नहीं था बल्कि इस पर्ची में कुछ होटलों और वेटर के नाम लिखे थे।
इस केस में पुलिस ने इस पर्ची को पहला सुराग माना और पर्ची को ध्यान से पढ़ने के बाद उसमें लिखे कुछ होटलों के नंबर पर फोन घुमाया। इत्तिफाक से एक होटल ने युवक की पहचान करने की बात कही। लेकिन दिक्कत यह थी कि यह होटल राजस्थान में था। अब पुलिस दिल्ली के शकूरपुर से राजस्थान के कनेक्शन के बीच उलझ गई थी। होटल वाले ने पुलिस को यह भी क्लू दिया था कि हो सकता है कि मरने वाला शकूरपुर का ही रहने वाला हो। इसके बाद पुलिस ने शव की शिनाख्त करने के इरादे से शकूरपुर के कुछ घरों में जाकर पूछताछ शुरू की। पुलिस की यह कोशिश रंग लाई। शकूरपुर के ए ब्लॉक में जैसे ही पुलिस ने एक परिवार को तस्वीर दिखाई इस परिवार में कोहराम मच गया। पता चला कि मरने वाले शख्स का नाम उन्मेद था और उसका परिवार ए ब्लॉक में ही रहता है।
पुलिस ने उन्मेद के घरवालों को ढूंढ कर तो निकाल लिया लेकिन हत्या की वजह अब भी सामने नहीं आ पाई थी। परिवार वाले इस बारे में कुछ भी नहीं बता सके। लेकिन पुलिस को यह पता चल गया था कि उन्मेद अक्सर राजस्थान जाता था और उसके पास एक मोबाइल फोन भी था। पुलिस ने तुरंत उन्मेद के नंबर को सर्विलांस पर डाला। हालांकि कई दिनों तक यह नंबर स्वीच ऑफ आता रहा। अचानक एक दिन यह मोबाइल स्वीच ऑन हुआ और फिर तुरंत बंद हो गया। लेकिन इतना वक्त काफी था यह पता लगाने के लिए कि यह नंबर शकूरपुर में ही ऑन किया गया था। अब पुलिस मोबाइल नंबर को जीरो-इन करते हुए उस छोटे से दुकान पर पहुंची जहां यह नंबर ऑन हुआ था। दुकानदार ने पुलिस से पूछताछ में बताया कि दो लड़के उसके पास मोबाइल बेचने के लिए आए थे लेकिन मोबाइल का पासवर्ड उन्हें मालूम नहीं था इसलिए उसने मोबाइल उनसे नहीं खरीदा। यह दुकानदार इन लड़कों को पहचानता था।
जाहिर है अब पुलिस इस केस को सुलझान के बिल्कुल करीब पहुंच चुकी थी। दुकानदार की निशानदेही पर पुलिस जेजे कॉलोनी स्थित इन दोनों नौजवानों के घर पहुंची। यह दोनों लड़के उस वक्त घर में ही मौजूद थे। इनमें से एक साजिद की पहचान नामी झपटमार के तौर पर हुई, जबकि दूसरा लड़का नाबालिग था। पुलिस की सख्ती से की गई पूछताछ में साजिद ने बताया कि कत्ल की रात वो पैसों की तलाश में थें। अचानक आजादपुर की तरफ से आ रहे उन्मेद पर इनकी नजर पड़ी और वो दोनों घात लगाकर छिप गए। जैसे ही उन्मेद उनके पास पहुंचा उन्होंने चाकू से उन्मेद पर ताबड़तोड़ कई हमले कर दिए। इससे पहले की उन्मेद कुछ समझता वो उसकी जेब से पर्स और मोबाइल छिन कर फरार हो गए। एक मामूली से कागज के पुर्जे से कातिलों तक पहुंच कर इस मर्डर मिस्ट्री को पुलिस ने अब सुलझा लिया था। इस मामले में पुलिस ने कानून के मुताबिक कार्रवाई की। (और…CRIME NEWS)

