Written by Pavneet Singh Chadha 

Goa Police: गोवा की एक सत्र अदालत (Session Court) ने गोवा में एक इजरायली नागरिक के खिलाफ कथित तौर पर झूठा मामला गढ़ने और उसके पास ड्रग्स प्लांट करने के आरोप में एक पूर्व पुलिस उपाधीक्षक (DSP) और गोवा पुलिस के तत्कालीन उप निरीक्षक (SI) सहित सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है।

जबरन वसूली और ड्रग डीलरों और पुलिस के बीच सांठगांठ के आरोप की सीबीआई जांच

एक इजरायली नागरिक डेविड ड्रिहम उर्फ ​​डूडू को गोवा पुलिस के एंटी-नारकोटिक्स सेल (ANC) ने 2010 में हेरोइन, कोकीन, तरल एलएसडी और चरस सहित नशीले पदार्थों के कथित कब्जे के लिए बर्देज़ के अंजुना से गिरफ्तार किया था। डूडू पर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस अधिनियम (NDPS Act) के तहत अपराध के लिए मामला दर्ज किया गया था। जबरन वसूली और ड्रग डीलरों और पुलिस के बीच सांठगांठ के आरोप सामने आने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को मामले की जांच सौंप दी गई।

अदालत ने कहा कि सीबीआई द्वारा दोबारा जांच में पाया गया कि तत्कालीन डीएसपी एएनसी नरेश महामल और उन दिनों एएनसी साक्ष्य कक्ष (मालखाना) के प्रभारी उप-निरीक्षक सुनील गुडलर सहित सातों आरोपी पुलिसकर्मियों द्वारा डेविड ड्रिहम उर्फ ​​डूडू के खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया था।

विदेशी शख्स के खिलाफ पुलिस वालों ने रकम ऐंठने के लिए की आपराधिक साजिश

उत्तरी गोवा, मापुसा के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शर्मिला पाटिल ने 3 अगस्त को अपने एक आदेश में कहा, “जांच और विशेष रूप से सीडीआर रिपोर्ट, सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए पंच गवाहों के बयान और रिकॉर्ड पर अन्य गवाहों की जांच के मुताबिक अभियुक्त सुनील गुडलर ने अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर आपस में एक आपराधिक साजिश रची और पैसे ऐंठने के एक सामान्य इरादे को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने एनडीपीएस के तहत आरोपी नंबर 1 एक इजरायली नागरिक के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए झूठा मामला बनाया था।”

सीबीआई ने इजरायली नागरिक को बरी किया, पुलिस ने लगाया था झूठा आरोप

अदालत ने कहा, “आरोपी नंबर 1 के कब्जे में अवैध प्रतिबंधित पदार्थ का सचेत कब्ज़ा नहीं पाया गया, लेकिन इसके विपरीत, प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि इसे आरोपी नंबर 1 पर आरोपित किया गया है…” अदालत ने इजरायली नागरिक को एनडीपीएस अधिनियम के तहत अपराधों से भी मुक्त कर दिया। अदालत ने यह देखते हुए कि उसे सीबीआई द्वारा बरी कर दिया गया है। क्योंकि जांच से पता चला है कि उसके खिलाफ एक झूठा मामला दर्ज किया गया था। इसलिए उसके खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है।

पुलिस अधिकारियों के मोबाइल फोन के CDR से पंचनामा मनगढंत साबित

अदालत ने कहा कि जांच दस्तावेजों, पणजी पुलिस स्टेशन में संतरी गार्ड के बयान के साथ-साथ आरोपियों और एएनसी पुलिस अधिकारियों के मोबाइल फोन के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) से पता चला कि इजरायली नागरिक को “ 22.02.2010 को 01.00 बजे और पणजी में एएनसी कार्यालय में लाया गया था।” इसलिए पंचनामा जो 3.35 बजे समाप्त होता दिखाया गया है और वे 22.02.2010 को 6.00 बजे पणजी पहुँचे हैं। यह मामला प्रथम दृष्टया झूठा और मनगढ़ंत प्रतीत होता है।

एएनसी मालखाने में कई सबूतों की मुहरों के साथ छेड़छाड़ की गई

अदालत ने कहा कि सीबीआई जांच से पता चलता है कि गुडलर एएनसी मालखाने का प्रभारी था, जिसमें निपटाए गए एनडीपीएस मामलों की संपत्ति को जमा किया गया था और हिरासत में रखा गया था और एक जुड़े मामले की जांच से पता चला कि “एएनसी मालखाने में कई प्रदर्शनों की मुहरों के साथ छेड़छाड़ की गई थी।”

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