छत्तीसगढ़ के एक अधिकारी ने अपने फोन को दोबारा हासिल करने के लिए एक जलाशय को सूखा दिया था। अब उन्हें 53,000 रुपये का जुर्माना भुगतान करने के लिए कहा गया है। राज्य सरकार की ओर से जल संसाधन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। उन्होंने जलाशय से पानी निकालने की “मौखिक अनुमति” दी थी। नोटिस में अधिकारी से पूछा गया है कि जो पानी निकाला गया उसकी कीमत उनके वेतन से क्यों नहीं वसूली जाए।
सेल्फी के चक्कर में गिरे फोन के लिए 41 लाख लीटर पानी निकाला
छत्तीसगढ़ के एक खाद्य निरीक्षक ने कांकेर जिले के एक जलाशय में सेल्फी लेने के चक्कर में गिरे अपने फोन को वापस पाने के लिए लगभग 41 लाख लीटर पानी निकाल दिया था। इस घटना के लिए उसे निलंबित कर दिया गया था। राज्य सरकार द्वारा उसे कुल 53,092 रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा जल संसाधन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। उन्होंने जलाशय से पानी निकालने की “मौखिक अनुमति” दी थी।
क्या है जलाशय से पानी निकालने का पूरा मामला
खाद्य निरीक्षक 32 वर्षीय राजेश विश्वास 21 मई को अपने दोस्तों के साथ कांकेर जिले के पखांजुर कस्बे के परालकोट बांध के बगल में स्थित परालकोट जलाशय में पिकनिक मनाने गए थे। सेल्फी लेने के दौरान गलती से उनका फोन जलाशय में गिर गया। इसे वापस पाने के लिए उन्होंने 7,500 रुपये की लागत से दो डीजल पंप किराए पर लिए और जलाशय से पानी की निकासी की। पिछले मंगलवार को पानी निकासी की प्रक्रिया शुरू हुई और गुरुवार को मामला सामने आया। शुक्रवार को जिला कलेक्टर प्रियंका शुक्ला ने उन्हें निलंबित कर दिया था।
जिला प्रशासन के अनुमान से दोगुना पानी निकला
जिला प्रशासन ने उस समय अनुमान लगाया था कि जलाशय से लगभग 21 लाख लीटर पानी निकाला गया था, लेकिन जल संसाधन विभाग ने विस्तृत मूल्यांकन किया तो राजेश विश्वास को भेजे 26 मई के नोटिस में यह आंकड़ा 41 लाख लीटर बताया। 10.50 रुपये प्रति क्यूबिक पानी की निकासी का अनुमान लगाते हुए नोटिस में विश्वास को पानी के लिए 43,092 रुपये और 10,000 रुपये के जुर्माने के साथ कुल 53,092 रुपये की राशि का भुगतान करने के लिए कहा गया। उन्हें 10 दिनों के भीतर राशि का भुगतान करने को कहा गया है।
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जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी को भी नोटिस
जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी आर एल धीवर को कारण बताओ नोटिस में पूछा गया है कि जलाशय से पानी निकालने की अनुमति देने से पहले उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से सलाह क्यों नहीं ली। उनसे तीन दिन के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा गया है कि आखिर क्यों न उनके वेतन से नाले के पानी का पैसा वसूल किया जाए।