गुजरात में छात्रा से दुष्कर्म मामले में पावागढ़ मंदिर के पूर्व ट्रस्टी और अन्य आरोपियों के खिलाफ एफआईआर रद्द कर दी गई है। गुजरात उच्च न्यायालय ने सोमवार को पावागढ़ के कालिका माता मंदिर के पूर्व ट्रस्टी और अन्य आरोपियों के खिलाफ बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध सहित अन्य मामले में दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया।

‘विवादित एफआईआर के संबंध में कार्यवाही जारी रखना अनावश्यक उत्पीड़न’

कार्यवाही को रद्द करते हुए न्यायमूर्ति समीर दवे ने कहा कि दोनों पक्षों ने आपसी समझौते के जरिए मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया है। साथ ही शिकायतकर्ता ने इस सुलह को प्रमाणित करने के लिए एक हलफनामा भी दायर किया है। अदालत ने आगे कहा “आवेदकों के खिलाफ विवादित एफआईआर के संबंध में कार्यवाही जारी रखना अनावश्यक उत्पीड़न होगा।”

दरअसल, 2021 में सीए अशोक जैन और पावागढ़ के कालिका माता मंदिर ट्रस्ट के पूर्व सचिव हेमंत भट्ट उर्फ ​​राजू पर दुष्कर्म का आरोप लगा था। हालांकि मई में शिकायतकर्ता जो एक एलएलबी छात्रा है, उसने वडोदरा सत्र न्यायालय के समक्ष अपने बयान में कहा था कि वह “विरोधी” हो गई थी। पीड़िता ने कहा कि उसे पता नहीं था कि एफआईआर में क्या लिखा गया है, क्योंकि वह गुजराती भाषा नहीं पढ़ सकती थी। उसने आरोपी के खिलाफ शिकायत करने से इनकार किया। गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने के साथ ही हेमंत भट्ट को रिहा कर दिया गया। वे सितंबर 2021 से जेल में थे।

क्या है सितंबर 2021 का पूरा मामला, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था वीडियो

इस मामले में 19 सितंबर, 2021 को गोत्री पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी। जिसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने भट्ट और अन्य आरोपी जैन को गिरफ्तार कर लिया था। इसके साथ ही पुलिस ने होटल व्यवसायी कांजी मोकारिया को भी गिरफ्तार किया था। मोकारिया पर कथित तौर पर भट्ट को शहर से भागने में मदद करने का आरोप था।

पुलिस ने कहा था कि मोकारिया लगातार भट्ट के संपर्क में था। इस कारण भट्ट गिरफ्तारी से बचता रहा। इतना ही नहीं उसने उस फ्लैट का भी दौरा किया जहां कथित तौर पर अपराध हुआ था। अधिकारियों के अनुसार, 2021 में एफआईआर दर्ज होने के बाद घटना से संबंधित वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल किए गए थे। हालांकि अब आरोपियों के खिलाफ एफआईआर रद्द हो गई है।