written by Jignasa Sinha

क्या आपको पता है कि आजादी से पहले दिल्ली में किस किस्म के अपराध होते थे। दिल्ली के लोग किस तरह के एफआईआर दर्ज कराते थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि उस समय लोग संतरे, पाजामा, कुल्फी, शराब, प्लेट, बकरी चोरी होने की शिकायत दर्ज कराते थे। आज के समय में जिस तरह हत्या, लूट और धोखाधड़ी की घटनाएं बड़ी मानी जाती हैं उसी तरह 1800- 1900 के दौर में ये घटनाएं बड़ी मानी जाती थीं। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि डिजिटलीकरण प्रयास के तहत दिल्ली पुलिस की वेबसाइट पर किस तरह की शुरुआती एफआईआर दर्ज की गईं थीं।

दरअसल, दिल्ली पुलिस की परसेप्शन मैनेजमेंट और मीडिया सेल टीम ने काफी रिसर्च के बाद एफआईआर की इन कॉपियों को वेबसाइट पर अपलोड की हैं ताकि लोग दिल्ली पुलिस के इतिहास के बारे में जान सकें। इस मामले में दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता डीसीपी सुमन नलवा ने कहा कि हमने सभी के सीखने के लिए पुरानी एफआईआर के बारे में जानकारी अपलोड की है। इसे आसान और मजेदार बनाने के लिए सभी एफआईआर का उर्दू से हिंदी में अनुवाद किया गया है।

एसीपी कलकल ने कहा कि उन्होंने सैकड़ों एफआईआर का अध्ययन किया और पाया कि पिछले 200 सालों में शिकायतों का प्रारूप काफी हद तक एक जैसा ही रहा है। चलिए कुछ एफआईआर के बारे में आपको बताते हैं जिससे पता चलता है कि पहले दिल्ली वालों की जिंदगी कैसी थी?

जब रिश्तेदार ने 20 रुपये लेकर बूढ़ी औरत से तय कर दिया रिश्ता

यह धोखाधड़ी का मामला था। शिव ने अपने रिश्तेदार फतेह से उसके लिए वधू तलाशने को कहा था। फतेह और उसके सहयोगी ने 16 साल की लड़की से उसकी शादी कराने का वादा करके शिव से 20 रुपये लिए। शादी के दिन शिव को यह एहसास हुआ कि दुल्हन एक बूढ़ी औरत थी जो मौके से भाग गई थी। इसके बाद शिव ने फतेह के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। यह मामला 1900 का था। यह डिजिटलीकरण प्रयास के तहत दिल्ली पुलिस की वेबसाइट पर अपलोड की गई सबसे शुरुआती एफआईआर में से एक है।

11 संतरे की चोरी का जिक्र

16 फरवरी, 1891 को सब्जी मंडी पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एफआईआर में 11 संतरे की चोरी का विवरण है। एफआईआर में लिखा है कि आरोपी राम बक्श ने 4-5 साथियों के साथ मिलकर राम प्रसाद के खेत से 11 संतरे चुरा लिए। इसके बाद 23 फरवरी, 1891 को आरोपियों को पकड़ लिया गया और एक माह की कठोर सजा दी गई।

1899 में एक शख्स में जब उखाड़ दिया था पेड़

1 अक्टूबर, 1899 को उत्तरी दिल्ली के अलीपुर में दर्ज की गई एक एफआईआर में कहा गया है कि टोरी नाम के एक व्यक्ति ने सड़क पर एक कीकर के पेड़ को उखाड़ दिया और उसे अपने खेत में छिपा दिया। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 5 रुपये का जुर्माना भरने को कहा गया।

जब एक होटल से चोरी हो गई शराब की बोतल

हाई-प्रोफाइल मामलों में से एक 1897 में नई दिल्ली के इंपीरियल होटल में चोरी से संबंधित है। एफआईआर में कहा गया है कि होटल का एक रसोइया सब्जी मंडी पुलिस स्टेशन में “अंग्रेजी में शिकायत पत्र” लेकर आया था। जिसमें कहा गया था कि चोर एक कमरे में घुस गए थे। उन्होंने होटल के कमरे से सिगार का पैकेट और शराब की एक बोतल चुरा ली थी। होटल ने आरोपी को पकड़ने के लिए 10 रुपये के इनाम की घोषणा की लेकिन वह आखिरी बार था जब किसी ने सिगार और शराब की बोतल के चोरी के बारे में सुना था। यह मामला कभी सुलझ ही नहीं सका।

1861 से लेकर 1900 के बीच रिपोर्ट की गईं ऐसी 29 अपराधिक मामलों को एफआईआर वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। इनमें अधिकतर घटनाएं डकैती से संबंधित हैं। जिनमें 104 कबूतर, एक झील के पास से 110 बकरियां, एक जोड़ी पायजामा, 11 संतरे, एक शराब की बोतल, एक टट्टू, चादर, एक प्लेट और यहां तक ​​कि एक कुल्फी की भी चोरी की बात कही गई है।

घटना के कुछ दिन भीतर ही मिलती थी सजा

एसीपी राजेंद्र सिंह कलकल का कहना है कि 1800 के दशक में अधिकांश गिरफ़्तारियां और सजाएं घटना के कुछ दिनों के भीतर ही कर दी जाती थीं। वह दौर सरल था जब संतरे, कबूतर और पायजामे की चोरी भी बड़ी बात हुआ करती थी। आज हमारे पास हजारों मामले हैं, जिनमें से कुछ जघन्य अपराध है। उनकी जांच में समय लगता है। अदालतों में लंबे समय तक केस चलता है जिस कारण सजा में भी अधिक समय लगता है।

1200 के दशक में शुरू हई पुलिस व्यवस्था

1200 के दशक में दिल्ली, पंजाब और अन्य उत्तरी राज्यों में पुलिस व्यवस्था शुरू हुई। 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद पुलिस व्यवस्था का एक संगठित रूप अस्तित्व में आया। भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 में दिल्ली में पांच पुलिस स्टेशन की शुरुआत हुई जिसमें महरौली, सब्जी मंडी, नांगलोई, कोतवाली और सदर बाजार शामिल हैं।

एसपी कलकल का कहना है कि आज की एफआईआर की तरह पुरानी एफआईआर में भी शिकायतकर्ता, एफआईआर नंबर, अनुभागों और संदिग्धों का विवरण देने वाले कॉलम होते हैं। एक बड़ा अंतर एफआईआर के आखिरी हिस्से में है। जिसमें शिकायत का विवरण है। इससे पहले पुलिस घटना का संक्षिप्त विवरण लिखती थी। आजकल हम शिकायतकर्ता का पूरा विवरण लेते हैं और उसे एफआईआर में इस्तेमाल करते हैं। उस समय कागज और बाइंडर प्राकृतिक और स्वदेशी होते थे इसलिए एफआईआर को संरक्षित करना आसान था।