आज कहानी ऑपरेशन अश्वमेध की जिसमें एनएसजी कमांडोज ने अपना दम दिखाते हुए कुछ ही मिनटों में अप्रैल, 1993 में हाईजैक किये गए जहाज को अपहरणकर्ता से छुड़ा लिया था। इस हाईजैकिंग में ऑपरेशन अश्वमेध तब चलाया गया, जब साल 1993 में इंडियन एयरलाइन्स के एक विमान आईसी 427 (IC427) को हाईजैक कर लिया गया था। हालांकि, इस ऑपरेशन में हाईजैकर को चंद मिनटों में गिरफ्त में लेकर प्लेन में मौजूद सभी लोगों को छुड़ा लिया गया था।
दरअसल, प्लेन हाईजैकिंग का सारा सिलसिला दिल्ली एयरपोर्ट से शुरू हुआ। विमान के इंतजार में एयरपोर्ट के लाउंज में एक शख्स पैर में प्लास्टर के साथ बैठा हुआ था। यह विमान दिल्ली से श्रीनगर के लिए जाने वाला था, लेकिन पैर में चोट दिखाने वाला यह शख्स जैसे ही विमान के अंदर बैठा, वैसे ही उसने दावा किया कि उसके पास बंदूक और हथगोला है। उसने खुद को यात्रियों के सामने जनरल हसन के रूप में संबोधित किया था।
हाईजैकर हसन के इतना कहते ही विमान में बैठे सभी लोगों की सांसे अटक गई। सभी को पता लग चुका था कि विमान हथियार के दम पर हाईजैक किया जा चुका है। हाईजैकर हसन ने कहा कि फ्लाइट को काबुल ले जाया जाए। हालांकि, लाहौर एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने विमान को पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया और विमान अपने ही वायुक्षेत्र का चक्कर लगाकर भारत लौट आया। आखिरकार, विमान अमृतसर में उतरा।
अमृतसर में विमान उतरने के बाद अपहरणकर्ता ने पूरे चालक दल और यात्रियों को बंधक बना लिया और ईंधन भरने की मांग की। यहां पुलिस के आला अधिकारियों ने हाईजैकर के साथ बातचीत करने की कोशिश की कि ‘आखिर वह चाहता क्या है?’ लेकिन वह हर बार यही कहता रहा कि विमान को काबुल ले जाया जाए। समय बीतता गया और कोई हल ही नहीं निकला। फिर रात 11 बजे हाईजैकर ने हवाई फायर करते हुए धमकी दी कि प्लेन काबुल नहीं गया, तो वह विमान को बम से उड़ा देगा।
इसके बाद अधिकारियों ने एनएसजी ऑपरेशन शुरू किया गया, जिसका कोड नेम ऑपरेशन अश्वमेध था। फिर थोड़ी ही देर में हाईजैकर को बातों में उलझाकर कमांडोज को प्लेन में भेज दिया गया। चंद सेकेंडों में कमांडोज ने साइलेंसर पिस्टल से फायर कर हाईजैकर को घायल कर दिया, हालांकि उसने थोड़ी देर बाद दम तोड़ दिया था। इसके बाद विमान में मौजूद 6 क्रू मेंबरों समेत कुल 141 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया। बाद में पता चला कि विमान अपहरण करने वाले का असली नाम मोहम्मद यूसुफ शाह था।