Odisha News: जमानत मिलने के बाद सबसे पहले किसी भी कैदी को घर वापस जाने की ही जल्दी होती है। हालांकि, ओडिशा के संबलपुर सेंट्रल जेल से रिहा होने के बाद 34 साल का विचाराधीन कैदी पिछले पांच साल से घर नहीं लौट पाया है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसे अपने घर का पता याद नहीं है। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने हाल ही में फिर से शख्स को जमानत दे दी। हालांकि, रिकॉर्ड में शख्स का गलत पता दर्ज होने के कारण जेल अधिकारी उसे घर नहीं भेज सके।

कैदी को शेल्टर होम में कर दिया गया ट्रांस्फर

इस संबंध में जेल कर्मचारियों ने एक प्रेस नोट में कहा कि धनुपाली पुलिस की कोशिश से उसे (कैदी) संबलपुर में मानसिक रूप से बीमार लोगों के शेल्टर होम में ट्रांस्फर कर दिया गया है। जेल अधिकारियों ने बताया कि मोहम्मद रहमान के बेटे जाबिरा सत्तार जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया था, वो मूल रूप से झारखंड के हैं।

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अधिकारियों ने बताया कि 2019 में फाइल की गई चार्जशीट कॉपी में उनके घर का जो पता दर्ज किया गया है वो सही नहीं है। उन्हें बेल मिलने के बाद जेल के अधिकारियों की दो टीमों ने झारखंड के रांची जिले के सोनुआ थाने के अघोरा गांव का दौरा किया। हालांकि, उसके घर का पता नहीं चल पाया।

कैदी ने कभी कोई समस्या पैदा नहीं की

उन्होंने बताया कि जेल में रहने के दौरान कैदी ने कभी कोई समस्या पैदा नहीं की। उसका व्यवहार बहुत अच्छा था। लेकिन वो क्या कहता है वो न तो अन्य कैदी और न ही जेल कर्मचारी समझ पाए। उसे जेल से केवल पांच साल की सजा के बाद रिहा कर दिया गया। हालांकि, चूंकि उसके परिवार से कोई भी उसे लेने नहीं आया, इसलिए वो वहीं रहा।

इस बीच 13 दिसंबर को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने उसे फिर से जमानत दे दी। चूंकि वो मानसिक रोगी है और उसे पहले जिला प्रशासन द्वारा आश्रय गृह में ले जाया गया था, अगले दिन उसे धनुपाल पुलिस को सौंप दिया गया, ताकि उसका घर का पता ढूंढा जा सके और उसे वापस भेजा जा सके।

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चूंकि उसका पता गलत है, इसलिए पुलिस और जेल अधिकारियों ने बताए गए पते का दौरा किया और संबंधित पुलिस स्टेशनों से पुष्टि की। हालांकि, कैदी के घर का पता नहीं चल पाया। इस कारण अंत में उसे एम्बुलेंस में आश्रय गृह में ले जाया गया।

सेंट्रल जेल के जेलर संतोष बारिक ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “ये एक प्रक्रिया है, जिसके तहत किसी कैदी को रिहा किया जाता है। उसके परिवार के सदस्य उसे लेने आते हैं, जिसके बाद रिहाई आदेश जारी किया जाता है। चूंकि वो मानसिक रोगी है, इसलिए उसे बिना किसी के आए रिहा करना सही नहीं है। इसलिए पुलिस और जिला प्रशासन की मदद से उसे शेल्टर होम में भेजा गया। उसका परिवार उसे वहां से ले जा सकता है।”

2019 में ड्रग्स मामले में गया था जेल

वहीं, धनुपाली थाने के इंस्पेक्टर सुब्रत पाणिग्रही ने बताया, “कैदी को उसी महीने जमानत मिल गई थी, जिस महीने वो 2019 में ड्रग्स मामले में जेल गया था। उसने जो पता बताया वो गलत है। हमारी टीम जेल अधिकारियों के साथ झारखंड गई थी और उसका भी घर ढूंढा। अब वो मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए बने शेल्टर होम में है।”