देश में साइबर अपराध व धोखाधड़ी के मामलों में रोक लगा पाने में सरकार असफल रही है। बड़े दावों के बीच आंकड़े बताते हैं कि साल 2020 में साइबर अपराध के मामलों में 11 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है। गृह मंत्रालय ने साइबर मामलों के बारे में गृह समिति को सूचित करते हुए बताया है कि देश में साल 2020 में साइबर अपराध से जुड़े कुल 50,035 मामले रिपोर्ट किये गए हैं। जबकि, साल 2019 में यह आंकड़ा 44,735 का था।

साल 2020 में साइबर अपराधों का यह डाटा राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) की “क्राइम इन इंडिया, 2020” की रिपोर्ट से लिया गया है। यदि साल 2019 और 2020 का अंतर देखें तो पता चलता है कि मामलों में 11.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। देश के गृह मंत्रालय ने बताया कि साल 2017 में साइबर अपराध के 21,796 मामले थे, साल 2018 में 27,248 तो वहीं 2019 में भारी उछाल के साथ 44,735 मामले दर्ज किये गए थे।

इसके अलावा अपराधों की अलग-अलग श्रेणी में अपराध दर भी बढ़ गई है। जैसे साल 2019 में अपराध दर 3.3 थी, जो अब 3.7 तक जा पहुंची है। वहीं साल 2020 में दर्ज किये गए साइबर अपराध के मामलों में 60.2 % मामले (यानी 30,142 मामले) धोखाधड़ी के मकसद से जुड़े थे, जबकि 6.6% (3,293 मामले) यौन शोषण के मामले दर्ज किये गए थे।

गृह समिति के द्वारा पुलिस को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया कि, वह साइबर अपराध के नए तौर तरीकों से चिंतित हैं। साथ ही पंजाब, राजस्थान, गोवा असम जैसे कुछ राज्यों में एक भी साइबर सेल का न होना अपराध को न रोक पाने में एक कारण है। वहीं कर्नाटक, यूपी और आंध्रप्रदेश जैसे प्रदेशों में मात्र एक या दो साइबर सेल बनाए गए हैं।

इन सब समस्याओं को देखते हुए समिति ने सुझाव दिया कि गृह मंत्रालय प्रदेशों को जिलों में साइबर सेल बनाने की भी राय दे सकता है। साथ ही प्रदेश साइबर अपराध के कुछ विशेष हॉटस्पॉट भी निर्धारित कर सकते हैं, जिससे साइबर क्राइम को रोकने के लिए कुछ सक्रिय उपायों में मदद मिलेगी।

हालांकि, चिंता की बात यह है कि साल 2017 से लगातार बढ़ रहे साइबर अपराध के मामलों के बावजूद भी सरकार के द्वारा कोई मजबूत कदम नहीं उठाया गया है। बल्कि इसके बदले में केंद्र सरकार ने बीते दिनों यह जरूर स्पष्ट कर दिया है कि “लोगों को साइबर क्राइम से बचाने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है।