देश में कोरोना महामारी के दौरान मर्डर और दूसरे तरह के अपराधों के मामलों में तेजी दर्ज की गई है। एनसीआरबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों में पिछले साल अपराध की 42,54,300 घटनाएं हुईं। इनमें हत्या के 29,193 मामले दर्ज किए गए। यह इससे पिछले वर्ष की तुलना में एक फीसदी अधिक है। 2019 में हत्या के कुल 28,915 मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि देश में सभी तरह के अपराधों की कुल संख्या 66,01,285 रहीं।

सबसे खास बात यह है कि आबादी के लिहाज से भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 2020 में हत्या के सबसे अधिक 3,779 मामले दर्ज किए गए। दूसरी तरफ इस दौरान लक्षद्वीप और लद्दाख जैसे राज्यों में कोई मर्डर नहीं हुआ। 2020 में अपहरण के 84,805 मामले, साइबर अपराध के 50,035 मामले और 1,45,754 आर्थिक अपराधों के मामले थानों में दर्ज हुए।

रिपोर्ट में हत्या और मर्डर के लिए 19 वजह बताई गई हैं। इनमें ‘आपसी विवाद’, ‘व्यक्तिगत प्रतिशोध या दुश्मनी’, दहेज, जादू टोना, प्रेम संबंध/अवैध संबंध और सांप्रदायिक या धार्मिक कारण शामिल हैं। कुछ ऐसे मामले भी हैं, जिसमें जान लेने के पीछे कोई वजह नहीं बताई गई है। इन्हें ‘अंधा हत्या’ (blind murders) करार दिया गया है।

इनमें से पिछले साल हत्या के 10,404 मामलों के पीछे सिर्फ ‘आपसी विवाद’ वजह रही। 4,034 हत्याएं ‘व्यक्तिगत प्रतिशोध या दुश्मनी’ में की गईं।आपसी विवाद में भी कई तरह के विवाद शामिल हैं। जैसे ‘संपत्ति/भूमि विवाद’, ‘जल विवाद’, ‘छोटा-मोटा झगड़ा’, ‘पैसों को लेकर विवाद’, ‘पारिवारिक विवाद’ और ‘सड़कों पर ट्रैफिक के दौरान हिंसक रोष जताना’ आदि।

इसके अलावा किसी और के साथ संबंध होने के संदेह में पति के अपनी पत्नी या प्रेमिका की हत्या करना भी है। हत्या के कुल मामलों में पांच फीसदी ऐसे हैं, जिनमें अपने साथी के ‘प्रेम संबंधों’ से असंतुष्ट होकर हत्याएं की गई हैं। साथ ही ‘अवैध संबंध’ और दहेज आदि दूसरे कारणों ने भी हत्या के लिए उकसाने का काम किया।

राष्ट्रीय राजधानी में पिछले साल 53 हत्याएं सांप्रदायिक या धार्मिक वजहों से प्रेरित होकर की गईं। ‘व्यक्तिगत दुश्मनी’ की वजह से हत्या करने के मामले में बिहार पूरे देश में सबसे आगे हैं। यहां सिर्फ 2020 में ही 599 मर्डर निजी रंजिश में किए गए।