बीते दिनों मुंबई से एक मामला सामने आया था, जिसमें मुंबई पुलिस ने स्वीकार किया था कि उन्होंने गैंगरेप के मामले में दो भाइयों को गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले में जब खबर अखबारों में आई तो मुंबई के संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून और व्यवस्था) विश्वास नांगरे-पाटिल के हस्तक्षेप के कारण भाई अनिल चौहान (19) और नीलेश चौहान (20) को रिहा कर दिया गया था। धारावी पुलिस ने अदालत में एक रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि उनके पास दोनों भाइयों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
क्या था मामला: धारावी पुलिस ने दोनों भाइयों को 11 मई को एक 20 वर्षीय महिला से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में अरेस्ट किया था। महिला ने आरोप लगाया था कि 10 मई को शाम साढ़े चार बजे से शाम पांच बजे के बीच दो लोगों ने घर में घुसकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। साथ ही एक सदस्य ने घटना का वीडियो भी बनाया था। मुंबई के इन दोनों भाइयों को सामूहिक बलात्कार के एक मामले में गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद उन्होंने आठ दिन पुलिस लॉक-अप और बाकी के चार दिन आर्थर रोड जेल में बिताए थे। अब इन दोनों भाइयों ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा है कि इस मामले में पुलिस ने उन्हें नंगा कर पीटा, जिसके चलते एक युवक ने मजबूरी में पिटाई से बचने के लिए अपराध कबूल कर लिया था। हालांकि, दूसरे भाई ने जुर्म कबूलने से मना कर दिया था।
विले पार्ले की चॉल में रहता है परिवार: इस मामले में गिरफ्तार हुआ अनिल एक सैलून में काम करता है, जबकि नीलेश प्रिंटर कार्ट्रिज की मरम्मत का काम करता है। वे अपने माता-पिता के साथ विले पार्ले के एक चॉल में रहते हैं। जिस घटना में उन पर आरोप लगा, उस दिन दोनों भाई अपने चचेरे भाई की शादी में शामिल होने के लिए विले पार्ले से धारावी आए थे। 15 मई को सादे कपड़ों में पहुंचे पुलिसकर्मियों ने उन दोनों को उनके पिता जुगदेव के साथ बिना कारण बताए हिरासत में लेकर पुलिस वैन से धारावी पुलिस स्टेशन लाया गया था।
मजबूरी में जुर्म किया था कबूल: अनिल ने बताया कि पहले पुलिस वालों ने एक सीसीटीवी क्लिप दिखाई और फिर पीटना शुरु कर दिया। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, काफी देर पीटने के बाद मैंने और पिटाई से बचने के लिए मजबूरन अपराध कबूल कर लिया। नीलेश चौहान ने बताया कि पहले पुलिस वालों ने अनिल को कमरे में ले जाकर बेल्ट से खूब पीटा, वह लगातार रो रहा था। पुलिसकर्मी गाली दे रहे थे, उसकी चीखें सुनकर मुझे भी रोना आ गया।
पुलिस बोली भाई को कर देंगे बधिया: नीलेश के मुताबिक, उनसे पुलिस वालों ने कहा कि ‘अनिल ने कबूल कर लिया है, अब तुम सच बोलो’ फिर उन्होंने हमें नंगा किया और फिर शरीर के कुछ हिस्सों में तेल सा लगाया। जिसके बाद जलन हुई और चक्कर आने शुरू हो गए। मुझे इतने थप्पड़ मारे कि मेरा बायां कान सुन्न हो गया। उन्होंने कहा कि वह मेरे भाई अनिल को नपुंसक (बधिया कर देना) बना देंगे। लेकिन मैंने उनसे कहा कि ‘मैं मर जाऊंगा लेकिन कबूल नहीं करूंगा’। मैंने सोचा कि मुझे बांद्रा कोर्ट ले जाया जाएगा तो सब सच बता दूंगा, लेकिन वहां कुछ पूछा ही नहीं गया। मेरी छह बड़ी बहनें हैं, मैं एक महिला को चोट पहुंचाने के बारे में सोच भी नहीं सकता।”
सामाजिक कार्यकर्ता ने की मदद, पुलिस ने मानी गलती: इस मामले में दोनों भाइयों के पिता को एक सामाजिक कार्यकर्ता किरण म्हासे ने मदद की पेशकश की थी। पुलिस घटना के बाद इलाके के सभी सीसीटीवी कैमरों के डीवीआर लेकर चली गई थी। हालांकि, किरण ने किसी तरह उस दिन की फुटेज की निकाल ली, जिसमें देखा गया कि शिकायत में दिए गए समय दोनों भाई शाम को 5.49 बजे में गली में दाखिल हुए और शाम 5.53 बजे गली से बाहर निकल गए थे। हालांकि, मुंबई के संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून और व्यवस्था) विश्वास नांगरे-पाटिल के हस्तक्षेप के कारण पुलिस ने गलती स्वीकार ली है। उन्होंने कहा है कि भाइयों को इसलिए गिरफ्तार किया गया था, क्योंकि महिला ने सीसीटीवी में उनकी शिनाख्त की थी।