देश के आपराधिक इतिहास में कई ऐसी वारदातें हुई जिन्हें सुलझाने में पुलिस के पसीने छूट गए। कई मामलों में सालों तक जांच चलती रही और फिर भी ठोस सबूत नहीं मिल पाए। ऐसे ही मामलों में एक रहा नीरज ग्रोवर हत्याकांड जिसने पूरे देश को सन्न करके रख दिया था। इस हाई प्रोफाइल मामले में फॉरेंसिक टीम ने काफी काम किया, जिसकी बदौलत इस केस में नतीजा निकला।
नीरज ग्रोवर मुंबई में एक टीवी प्रोडक्शन हाउस से जुड़े थे। 7 जुलाई 2008 में निर्मम तरीके से उनकी हत्या कर दी गई और फिर उनका शव सैंकड़ों टुकड़ों में जंगल में ले जाकर जला दिया गया। यह कत्ल एक प्रेम त्रिकोण का नतीजा थी जिसमें तीन लोग शामिल थे। एक खुद नीरज ग्रोवर, दूसरी कन्नड़ अभिनेत्री मारिया सुसाइराज और तीसरा मरिया का प्रेमी मैथ्यू जो कि नेवी अफसर था।
साल 2008 में मारिया मुंबई आती है और यहीं नीरज से दोस्ती होती है। 6 मई को नीरज मलाड शिफ्टिंग में मदद के लिए स्थित मारिया के घर जाता है और फिर रात को वहीं रुक जाता है। इसी क्रम में मारिया का प्रेमी मैथ्यू उसे फोन करता है तो उसे घर में एक आदमी की आवाज आती है। मैथ्यू का शक गहरा जाता है तो मारिया नीरज के बारे में बताती है। मैथ्यू फोन पर ही नीरज को घर भेजने के लिए कहता है, लेकिन मारिया नजरअंदाज कर देती है।
इसके बाद गुस्साया मैथ्यू कोच्चि से फ्लाइट लेकर मारिया के घर मुंबई आ जाता है। इसी बीच नीरज और मैथ्यू के बीच हाथापाई होती है और मैथ्यू झड़प में नीरज को चाकू मार देता है। फिर मैथ्यू और मरिया मिलकर नीरज के कत्ल के सबूत मिटाते हैं और शव के 300 टुकड़े कर प्लास्टिक के बैग में भरते हैं। मारिया अपने दोस्त की कार लाती है और टुकड़ों में किये शव को जंगल में ले जाकर जला दिया जाता है।
नीरज का कई दिनों तक पता न चलने पर रिपोर्ट दर्ज होती है। फिर मारिया कुछ दिनों बाद नीरज का फोन सौंपती हैं और केस कोर्ट चला जाता है। पूछताछ में मारिया नीरज के रार में डेढ़ बजे ही चले जाने के साथ तमाम कहानियां बनाती है लेकिन आखिर में कबूलती है कि पूरी रात घर पर ही था। मारिया के फ्लैट के गार्ड ने भी बताया कि उसने दोनों को कार में बैग रखते हुए देखा था। फिर कॉल डिटेल ने सारा राज खोल दिया।
सेशन कोर्ट ने 11 जुलाई 2011 को मैथ्यू को हत्या व सबूत मिटाने के लिए तेरह साल की सजा दी। जबकि मारिया को तीन साल की सजा सुनाई लेकिन ट्रायल को तीन साल बीत चुके थे, इसलिए उसे बाद में रिहा कर दिया गया। फॉरेंसिक टीम ने कार और घर से सबूत जुटाने के अलावा जंगल में छानबीन के दौरान हड्डी और दांत हासिल किए थे। फिर डीएनए को परिजनों से मैच कराया गया, जिसके चलते यह केस अंतिम प्रक्रिया तक पहुंच पाया था।