मुम्बई की एक अदालत ने दुर्घटना मामले में आरोपी ऑटो ड्राइवर को ये कहते हुए रिहा कर दिया कि अगर सड़क खराब है, तो मौत के लिए ड्राइवर को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

आरे कॉलोनी में 11 साल पहले एक ऑटो ड्राइवर ने खंभे से अपना ऑटो ठोक दिया था, ऑटो में सवार लोगों में से एक की मौत हो गई थी, बाकि 3 घायल हो गए थे। इसी मामले में उसपर केस चल रहा था। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि उबड़-खाबड़ सड़कों के कारण चालक की गलती के बिना भी दुर्घटना हो सकती है। इसके बाद कोर्ट ने आरोपी ड्राइवर को बरी कर दिया।

आरोपी ड्राइवर पर आरोप था कि वो जिगजैग तरीके से ऑटो चला रहा था जिस वजह से ये दुर्घटना हुई। कोर्ट ने कहा कि जिस सड़क पर आरोपी रिक्शा चला रहा था वो खराब थी। इस तरह के रोड पर ड्राइवर सही तरीके से ऑटो रिक्शा नहीं चला सकता है। ऐसी सड़कों पर ड्राइवर की बिना गलती के भी दुर्घटना की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता।

मृतक नासीन बगदादी की बेटी स्नेहल देसाई और दो पोते दानेश और साहिल इस दुर्घटना में घायल हो गए थे। इस दुर्घटना के लिए आरोपी ड्राइवर सूरज कुमार जायसवाल के खिलाफ लापरवाही से मौत का मामला दर्ज किया गया था।

स्नेहल देसाई ने 7 जून 2010 को पुलिस को बताया था कि वे मीरा रोड स्थित अपने बेटे के घर गई थी। उन्होंने कहा था कि आरोपी तेज रफ्तार से ऑटोरिक्शा चला रहा था। आरे कॉलोनी में एक झील के सामने आरोपी ने ऑटोरिक्शा पर से नियंत्रण खो दिया, जिसके बाद ऑटो एक खंभे से टकरा गई।

खंभे से टकराने के बाद वाहन पलट गया और बगदादी को छाती में चोटें आईं। राहगीरों ने इनके परिवार को अस्पताल पहुंचाया। दुर्घटना के बाद बगदादी ने अस्पताल में ही अपना बयान दर्ज कराया। इसके अगले दिन उनकी मौत हो गई।

देसाई ने कोर्ट को बताया कि आरोपी ड्राइवर सही से ऑटो नहीं चला रहा था। वह जिगजैग तरीके से गाड़ी चला रहा था। दुर्घटना जब हुई तो वो हमें छोड़कर भाग गया।

कोर्ट ने कहा कि गवाहों ने अपने बयानों में बताया है कि सड़क खराब थी। ऑटो ज्यादा स्पीड में थी, ये गवाह ने नहीं बताया है। इससे इस मामले में संदहे होता है कि आरोपी लापरवाही से ऑटो चला रहा था। जिसके बाद कोर्ट ने ड्राइवर को बरी कर दिया।