मध्य प्रदेश के बारे हमेशा से कहावत है कि ‘एमपी अजब-गज़ब है”, यहां तक कि कई बार यह बात प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भी कह चुके हैं। अब मामला ऐसा सामने आया है जिसे सुनकर आप सिर पकड़ लेंगे। दरअसल, एक व्यक्ति ने सरपंच चुनाव जीता था और जब वह जीत का प्रमाण पत्र लेने पहुंचा तो तहसीलदार उससे रिश्वत मांगने लगे। लेकिन खेल तब हो गया जब उस व्यक्ति ने तहसीलदार को रंगे हाथों पकड़वा दिया।
जानकारी के अनुसार, शिवपुरी क्षेत्र के खनियाधाना जिले के में उमाशंकर लोधी नाम का एक शख्स 5 वोटों से सरपंच का चुनाव जीता था। जब वह तहसीलदार सुधाकर तिवारी से जीत का प्रमाण पत्र लेने पहुंचा तो अधिकारी ने उससे 3 लाख रुपये की रिश्वत मांगी। सरपंच का चुनाव जीते शख्स ने बताया कि उसके पास इतने पैसे नहीं है, जो थे वह चुनाव में खर्च हो गए।
इसी क्रम में तहसीलदार सुधाकर तिवारी ने विजेता प्रत्याशी को डर दिखाया कि तुम्हारा प्रतिद्वंदी लगातार प्रमाण पत्र बदलवाने के लिए कह रहा है। तहसीलदार ने कहा कि, अगर तुमसे पहले वह 3 लाख रुपए दे देगा तो सरपंच पद पर उसे जीता हुआ घोषित किया जाएगा। ऐसे में जीते हुए प्रत्याशी ने बातचीत की और बात डेढ़ लाख रुपयों में तय हुई और 50 हजार रुपए दे भी दिए।
हालांकि, इस सबके बाद जीते प्रत्याशी ने 5 जुलाई को लोकायुक्त ग्वालियर को शिकायत दर्ज करा दी। शिकायत में बताया कि उनसे सरपंच पद पर जीत का प्रमाण पत्र देने के लिए तहसीलदार 3 लाख रुपए मांग रहा है। तय बातचीत के बाद उसे 50 हजार रुपए दे भी दिए गए हैं।
प्रत्याशी ने बताया कि वह 5 वोटों से चुनाव जीता था और प्रमाण पत्र 14 जुलाई को मिलना था। इस मामले में जांच की गई तो लोकायुक्त ने एक्शन लिया। लोकायुक्त पुलिस ने योजना के तहत शिकायतकर्ता 1 लाख रूपए लेकर तहसीलदार के सरकारी निवास पर पहुंचा।
ऐसे में जैसे ही सरपंच का चुनाव जीते प्रत्याशी ने रिश्वत दी, लोकायुक्त पुलिस ने तहसीलदार सुधाकर तिवारी को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। लोकायुक्त पुलिस ग्वालियर के टीआई कवींद्र सिंह चौहान ने बताया कि प्रमाण पत्र देने के बदले रिश्वत मांगने वाले तहसीलदार को अरेस्ट कर लिया गया है।
