Morbi Bridge Collapse: गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को मोरबी में एक पुल के गिरने के मामले में दो आरोपी टिकट क्लर्कों को जमानत दे दी। हादसे में बीते साल अक्टूबर में 135 लोगों की मौत हो गई थी। करीब सात महीने न्यायिक हिरासत में रहने के बाद अब उन्हें रिहा किया जाएगा।
मोरबी पुल हादसे मामले में दोनों टिकट क्लर्क पर क्या है आरोप
मोरबी पुल हादसे मामले में चार्जशीट में कहा गया था कि घटना के दिन लगभग 3,165 टिकट बेचे गए थे। यह जानने के बावजूद कि पुल पर भीड़ बढ़ गई है, दो टिकट क्लर्क मादेवभाई सोलंकी और मनसुखभाई टोपिया टिकट जारी करने से रोकने में नाकाम रहे। उनकी ओर से घोर लापरवाही की गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि दोनों टिकट क्लर्कों ने “कंपनी के वित्तीय लाभ के लिए पुल पर अनुभवहीन सुरक्षा गार्डों को सुरक्षा कार्य सौंपा।”
पुल के घटिया निर्माण की देखरेख में भाग लेने का भी आरोप
पुल ढहने के पीड़ितों की ओर से पेश अधिवक्ता राहुल शर्मा ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि आरोप पत्र (Chargesheet) में दोनों के खिलाफ आरोपों में यह भी शामिल है कि उन्होंने पुल के घटिया निर्माण की देखरेख में भाग लिया था। उन्होंने कहा, “इसलिए वे निर्देश ले रहे थे और पुल की मरम्मत के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सभी प्रकार की भंगार (स्क्रैप) सामग्री का विरोध नहीं कर रहे थे।” दोनों टिकट क्लर्कों को हाई कोर्ट से मिली जमानत के विस्तृत आदेश का इंतजार किया जा रहा है।
मोरबी पुल हादसे मामले में हैं कुल 10 आरोपी
मोरबी पुल हादसे के बाद पुल बनाने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप के एमडी जयसुख पटेल सहित मामले के 10 आरोपी भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपों का सामना कर रहे हैं। तीन आरोपी सुरक्षा गार्डों को इससे पहले छह महीने की हिरासत के बाद मई में जमानत दी गई थी।