Ghaziabad Missing Boy Reunited With Family After 31 Years: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से बीते दिनों एक खबर सामने आई थी कि 31 साल पहले लापता हुआ एक बच्चा राजू अपने परिजनों से मिला है। इस खबर ने लोगों को भावुक कर दिया। घरवाले 31 साल बाद अपने खोए हुए बच्चे से मिलकर बेहद खुश थे। मां अपने बच्चे की बार-बार नजर उतार रही थी। हालांकि, फिर कुछ ऐसा हुआ कि सारी खुशी हवा में उड़ गई।

दरअसल, देहरादून के रहने वाले एक और परिवार ने दावा किया है कि राजू जो फिलहाल गाजियाबाद में रह रहा है उसने चार महीने पहले उनका बेटा होने का दावा किया था। इस दावे को सुनने के बाद उक्त परिवार को लोग चौंक गए।

सकते में पुलिस और दोनों परिवार

देहरादून के इस परिवार पुलिस को बताया कि लगभग चार महीने पहले, राजू ने उन्हें भी अगवा, जबरन मजदूरी और भागने की वही कहानी सुनाई थी, जो उसने गाजियाबाद में रहने वाले परिवार के साथ शेयर की है। इस बात के सामने आने के बाद पुलिस और दोनों परिवार सकते में आ गए हैं।

बता दें कि देहरादून से आए परिवार की एक सदस्य आशा देवी ने राजू को पहचान लिया। इस परिवार का दावा है कि अक्टूबर में दिल्ली में नौकरी की तलाश में जाने से पहले राजू कुछ समय तक उनके साथ रहा था। परिवार के दावों के बाद पुलिस गाजियाबाद के उस घर पहुंची जहां राजू रह रहा था और उसे आगे की पूछताछ के लिए थाने ले आई।

इस घटना ने दोनों राज्यों की पुलिस को सिर खुजलाने पर मजबूर कर दिया है। कथित तौर पर गाजियाबाद पुलिस को पांच महीने पहले आशा देवी के परिवार के साथ रह रहे राजू की कुछ तस्वीरें भेजी गई थीं। लेकिन राजू ने उन तस्वीरों में खुद के होने से इनकार किया है।

साहिबाबाद के एसपी ने क्या कुछ कहा?

ऐसे में अधिकारी इस बात की जांच में जुट गए हैं कि राजू दोनों परिवारों में से किनका सगा है। इस संबंध में साहिबाबाद के एसपी रजनीश उपाध्याय ने कहा, “हम इस बात की तह तक जाने की कोशिश कर रहे हैं कि राजू ने दो अलग-अलग परिवारों को अपना क्यों बताया है। हम इस उलझे हुए मामले के पीछे की सच्चाई को सामने लाएंगे।”

आशा देवी के परिवार ने कहा है कि वे पुलिस जांच के आधार पर ही राजू के बारे में कोई फैसला लेंगे। इस बीच, गाजियाबाद के परिवार ने कहा कि राजू पिछले दो दिनों से उनके साथ रह रहा है, लेकिन वह अक्सर शाम के समय बाहर जाने की जिद करता है, लेकिन उसकी मां और बहन ने उसे किसी तरह रोक रखा है।

‘राजू’ और उसकी अब तक की कहानी

बता दें कि बीते दिनों राजू उर्फ ​​भीम सिंह अपने परिवार को ढूंढते हुए गाजियाबाद के खोड़ा पुलिस स्टेशन पहुंचा था और अपनी कहानी सुनाई थी। उसने बताया कि कैसे वो अपने परिवार से अलग हो गया था। पुलिस ने 31 साल पहले दर्ज की गई एक गुमशुदगी की शिकायत को खंगालते हुए उसके परिवार को बुलाया और राजू अपने परिवार से मिल गया।

खेतों में मजदूर के रूप में काम कराया

राजू ने पुलिस को बताया कि जब वो महज आठ साल का था तो कुछ अज्ञात लोगों ने उसे अगवा कर लिया था। उन्होंने उससे राजस्थान के जैसलमेर में खेतों में मजदूर के रूप में काम कराया। राजू ने बताया कि वो पूरे दिन जमींदार की भेड़ें चराता था और काम के बाद उसे खाने के लिए केवल दाल और रोटी मिलती थी। रात में उसे बेड़ियों से जकड़ दिया जाता था, ताकि वो भाग न सके।

उन्होंने कहा कि एक व्यवसायी ने उन्हें भागने और आखिरकार गाजियाबाद पहुंचने में मदद की। जहां, पुलिस की पूछताछ के बाद, वो अपने परिवार से मिला, जिन्होंने उसे अपने बेटे के रूप में पहचाना। लेकिन अब, देहरादून परिवार के दावे और बढ़ते सवालों के साथ, राजू के अतीत की सच्ची कहानी एक पहेली बनी हुई है।

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