Damoh Fake British Heart Specialist: मध्य प्रदेश से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां पुलिस एक ऐसे शख्स की तलाश कर रही है, जिसने खुद को ब्रिटेन बेस्ड हार्ट स्पेशलिस्ट बताकर लोगों की जान से खिलवाड़ किया। ‘फर्जी डॉक्टर’ के कारण सात लोगों की मौत हो गई है। मामला दामोह जिला स्थित एक मिशनरी अस्पताल का है।

पुलिस ने संबंधित धाराओं मे मामला किया दर्ज

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल फर्जी डॉक्टर फरार है। उसकी गिरफ्तारी के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। राज्य पुलिस ने दमोह के एक मिशनरी अस्पताल में सात मरीजों की कथित मौत के लिए यूके में प्रशिक्षित कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. नरेंद्र जॉन कैम के रूप में खुद को पेश करने वाले एक व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

माना जा रहा है कि आरोपी नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है, जिसने अनधिकृत एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी करने के लिए यूके के प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. जॉन कैम के रूप में खुद को पेश किया था। उसने लोगों को फर्जी डिग्री दिखाई। साथ ही कई फेक सोशल मीडिया पोस्ट भी दिखाए।

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हालांकि, सीएमएचओ एमके जैन की शिकायत के बाद रविवार देर रात भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया, जिसमें कहा गया था कि आरोपी के पास कोई लीगल मेडिकल रजिस्ट्रेशन नहीं था। जिला चिकित्सा दल ने भी उसके दस्तावेजों को संदिग्ध पाया, और बाद में अस्पताल ने पुष्टि की कि वह भाग गया है।

असली प्रोफेसर जॉन कैम के नाम का फायदा उठाया

सूत्रों का कहना है कि यह व्यक्ति असलियत में नरेंद्र विक्रमादित्य यादव हो सकता है, जिसे पहले धोखाधड़ी के एक मामले में तेलंगाना में गिरफ़्तार किया गया था। उसने पहले दावा किया था कि उसने 1996 में उत्तरी बंगाल विश्वविद्यालय से एमबीबीएस और 2001 में लंदन के सेंट जॉर्ज अस्पताल से एमआरसीपी की डिग्री हासिल की है।

पूरे मामले में पुलिस ने धोखाधड़ी, जालसाजी, गबन और आपराधिक साजिश से संबंधित भारतीय न्याय संहिता की नई धारा 315(4), 338, 336(3), 340(2) और 3(5) के तहत मामला दर्ज किया है। जांचकर्ताओं का कहना है कि आरोपी ने न केवल फर्जी दस्तावेज बनाए, बल्कि असली प्रोफेसर जॉन कैम के नाम का फायदा उठाते हुए खुद को ब्रिटेन में शिक्षित डॉक्टर भी बताया।

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सूत्रों ने बताया कि आरोपी इस साल जनवरी और फरवरी के बीच मिशन अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग से जुड़ा था और उस अवधि के दौरान कथित तौर पर अनुचित हृदय ऑपरेशन के कारण कई मौतें हुईं थीं। फिलहाल पूरे मामले में NHRC ने संज्ञान लिया है। NHRC की एक टीम आज अस्पताल का दौरा कर सकती है।

पीड़ितों के परिवारों और अन्य लोगों को प्रासंगिक जानकारी के साथ टीम से मिलने के लिए कहा गया है। दरअसल, इस बात पर सवाल उठ रहे हैं कि अस्पताल ने ‘डॉ एन जॉन कैम’ को उनकी पहचान या साख की पुष्टि किए बिना काम करने की अनुमति कैसे दी।

इस तरह सामने आई पूरी सच्चाई

दरअसल, ये पूरा मामला तब सामने आया जब एक मरीज के परिजन ने पूछा कि ऑपरेशन के कुछ ही घंटों बाद मरीज की मौत कैसे हो गई। रिपोर्ट के अनुसार जब 58 वर्षीय रहीसा बेगम के परिवार ने यह जानना चाहा कि जनवरी में दिल की सर्जरी के कुछ ही घंटों बाद उनकी मौत क्यों हो गई, तो उनका ऑपरेशन करने वाला व्यक्ति, जो खुद को डॉ. एन जॉन कैम बताता था अस्पताल परिसर से भाग गया। उनके बेटे नबी ने बताया, “वह अपनी कार में बैठा और भाग गया।”

पीड़ितों में 62 वर्षीय मंगल सिंह भी शामिल थे, जिन्हें फरवरी की शुरुआत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके परिवार का मानना ​​था कि ये लक्षण गैस के कारण थे। उनके बेटे, जीतेंद्र सिंह ने कहा कि अस्पताल ने एंजियोग्राफी और फिर हार्ट सर्जरी की सलाह दी थी। लेकिन ऑपरेशन के कुछ समय बाद ही उनके पिता की मौत हो गई।

अस्पताल के भूमिका की भी जांच की जा रही

जीतेंद्र ने आरोप लगाया, “सर्जरी से पहले या बाद में डॉक्टर उपलब्ध नहीं थे। डॉक्टर द्वारा दिया गया महंगा इंजेक्शन भी नहीं लगाया गया। और जब हमने पोस्टमॉर्टम की मांग की, तो हमें बताया गया कि सर्जरी पहले ही हो चुकी है और हमें शव को घर ले जाना चाहिए।”

दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर ने पुष्टि की कि एक औपचारिक शिकायत प्राप्त हुई है और मामले की सक्रिय जांच चल रही है। मौतों की वास्तविक सीमा, अस्पताल की लापरवाही और आरोपियों को बचाने में अस्पताल प्रबंधन की संभावित भूमिका की भी जांच की जा रही है।