राजस्थान के कोटा में ना जाने क्या चल रहा है। अब 18 साल के एक छात्र ने मंगलवार रात को सुसाइड कर लिया। इस तरह यह महीने का चौथा और इस साल का 22वां सुसाइड का मामला है। जिसने एक बार फिर एंट्रेंस कोचिंग हब में छात्रों की मौत को सुर्खियों में ला दिया है।
बिहार के गया का रहने वाला 18 साल का छात्र वाल्मिकी जांगिड़ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) मुख्य परीक्षा के लिए एक कोचिंग संस्थान में पढ़ रहा था। जांगिड़ पिछले साल से कोटा के महावीर नगर इलाके में रह रहा था। कोटा में बार-बार छात्रों की आत्महत्या चिंता का विषय बनी हुई है। इस साल अब तक 22 कोचिंग छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। इन आत्महत्याओं ने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ा दी है। राज्य सरकार ने कोटा में छात्रों के लिए एक हेल्पलाइन सहित कई कदमों की घोषणा की है।
जवाब कौन देगा?
कोटा राजस्थान में बसी वह शिक्षा नगरी जहां बच्चे अपने सपनों को उड़ान देने के लिए जाते हैं। उनके ऊपर सिर्फ मंजिल हांसिल करने की धुन सवार होती है। समझ नहीं आ रहा कि इस नगरी में आखिर ऐसी कौन सी आबो हवा है जो वहां जाने के बाद कुछ छात्र सुसाइड करना चुन लेते हैं। वे आखिर अपनी जान क्यों दे देते हैं? जिस सपने को पूरा करने के लिए वे अपनों से दूर जाते हैं आखिर उन अपनों को हमेशा के लिए क्यों छोड़ जाते हैं? जवाब कौन देगा पता नहीं?
इस मामले में शासन-प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। कोई ठीक से कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। हर बार यही कहा जाता है कि परिजनों का छात्र के ऊपर एंट्रेंस एग्जाम पास करने का दबाव था। हर बार यही बहाना क्यों? क्या गला फाड़कर चिल्लाने वाले वे कोचिंग सेंटर जिम्मेदार नहीं है जो एडमिशन लेते ही ये कहते हैं कि हम तुम्हारा भविष्य सुनहरा बना देंगे। क्या राजस्थान सरकार की जवाबदेही नहीं बनती कि शिक्षा की नगरी कोटा में आए दिन बच्चे अपनी जान क्यों दे रहे हैं? ये बात हम यूं ही नहीं कर रहे हैं बल्कि यहां इस साल 22 छात्रों ने सुसाइड का रास्ता अपनाया है। खैर, किसी को क्या फर्क पड़ता है? ऐसा लगता है कि यहां छात्रों का सुसाइड करना आम बात हो गई है।
