Kolkata Rape Case: कोलकाता में एक महिला डॉक्टर के साथ अस्पताल के अंदर हुई रेप और नृशंस हत्या के मामले को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है, लेकिन इस घटना ने जून 2013 की मणिपाल यूनिवर्सिटी की मेडिकल की छात्रा के साथ हुए अपराध की याद दिला दी है। यह मामला दिल्ली के निर्भया कांड के कुछ महीनों बाद हुआ था, जिसने लोगों के बीच काफी गुस्सा पैदा कर दिया था।
दरअसल, साल 2013 के जून महीने में कर्नाटक के प्रतिष्ठित मणिपाल विश्वविद्यालय की एक मेडिकल छात्रा लाइब्रेरी से अपने कमरे की ओर लौट रही थी, तभी उसे एक ऑटो रिक्शा में घसीटकर दूसरी जगह ले जाया गया था। जहां उसके साथ गैंगरेप किया गया। बढ़ते दबाव के चलते पुलिस ने हाई लेवल की जांच शुरू की थी। जिसमें हजारों ऑटो रिक्शा चालकों से पूछताछ की गई, जिसके बाद एक स्थानीय पेट्रोल पंप से मिली महत्वपूर्ण सूचना से मामले को सुलझाने में मदद मिली थी।
ऑटो रिक्शा में उठाकर ले गए थे आरोपी
20 जून 2013 के दिन मेडिकल की पढ़ाई कर रही फोर्थ ईयर की छात्रा यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी में पढ़ाई करने के बाद रात करीब 11.15 बजे उसने अपने कमरे में लौट रही थी। उसका कमरा कैंपस के अंदर था और सुरक्षाकर्मियों द्वारा सुरक्षित था, इसलिए उसे चिंता नहीं थी, लेकिन जैसे ही वह सड़क पर चलने लगी, एक ऑटो रिक्शा उसके पीछे आकर रुका। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाती, दो लोगों ने उसे खींचकर ऑटो में बिठा लिया और और उसका मुंह बंद करने की कोशिश की।
जबरन ऑटो में बिठाने को लेकर छात्रा चिल्लाने लगी। पास में मौजूद सुरक्षा गार्ड मनोज ने उसकी चीख सुनी, ऑटो रिक्शा को देखा और उसका पीछा किया लेकिन ऑटो तेज़ी से भाग गया। छात्रा का पर्स और छाता सड़क पर गिर गया। पीछा छोड़कर मनोज ने मणिपाल पुलिस को सूचना दी।
उस वक्त के पुलिस अधिकारी ने सुनाई कहानी
उस समय मणिपाल पुलिस स्टेशन में पुलिस इंस्पेक्टर रहे टिपन्नावर बताते हैं कि पुलिस को सूचना मिलने के बीच 20 मिनट का अंतर था। उन्होंने बताया कि मैं मणिपाल विश्वविद्यालय पहुंचा और उस कमरे में गया जहां वह छात्रा अपनी रूममेट के साथ रहती थी। मैंने उसे अपना फोन नंबर दिया उसकी तलाश के लिए कई टीमें बनाईं। हर मिनट एक घंटे जैसा लग रहा था क्योंकि हम उसे ढूंढ़ने में समर्थ ही नहीं हैं।
उन्होंने बताया कि उन्हें रात में करीब 2.55 बजे छात्रा की रूममेट का फोन आया जिसमें बताया गया कि वह वापस आ गई है लेकिन उसकी हालत खराब है। टिप्पनवर, यूनिवर्सिटी के एस्टेट ऑफिसर जय विट्ठल और अन्य पुलिस अधिकारी कमरे में पहुंचे। पीड़िता ने अपनी रूममेट को अपनी आपबीती सुनाई और पुलिस को पता चला कि तीन आरोपियों ने एक सुनसान जगह पर उसके साथ बलात्कार किया। दो आरोपी बीच रास्ते में ही उतर गए, जबकि एक ने उसे वापस उसके कमरे में छोड़ दिया।
4 दिन तक नहीं सोए थे अधिकारी
अगले दिन इस घटना का जब खुलासा हुआ तो पूरा देश गुस्से से उबल पड़ा। पुलिस अधिकारी ने कहा कि कैंपस परिसर में इस तरह की घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए। हम पर आरोपियों को पकड़ने का बहुत दबाव था। पुलिस के मीडिया की नज़र में आने के बाद, सभी लोग काम पर लग गए। पुलिस महानिरीक्षक (पश्चिम) प्रताप रेड्डी और पुलिस अधीक्षक एमबी बोरलिंगैया मणिपाल पुलिस स्टेशन में तैनात थे। टिप्पन्नावर कहते हैं कि उन्हें याद है कि अगले चार दिनों तक वे सोए नहीं थे।
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उन्होंने कहा कि हमारे पास जो भी जानकारी थी, उसके आधार पर हमने संदिग्धों के स्केच जारी किए। हर दिन, अटकलों को रोकने और चुनिंदा जानकारी साझा करने के लिए लगभग 4 बजे मीडिया ब्रीफिंग होती थी। पुलिस अधिकारी ने कहा कि तत्कालीन गृह मंत्री केजे जॉर्ज भी लगातार जांच अधिकारियों के संपर्क में थे। पुलिस पर काफ़ी दबाव था। टिपन्नावर कहते हैं कि पुलिस के पास एकमात्र सबूत यह था कि छात्र को ऑटो रिक्शा में अगवा किया गया था। वहां सीसीटीवी कैमरे थे लेकिन हम गाड़ी का नंबर नहीं देख पाए थे। ऑटोरिक्शा का पीछा करने वाले सुरक्षा गार्ड ने भी पंजीकरण संख्या नहीं देखी थी। पूरे जिले में, हमने सभी ऑटोरिक्शा चालकों को जांच दल के सामने पेश होने के लिए बुलाया और लगभग 12,000 ड्राइवरों को स्कैन किया गया।
पुलिस को मिला था सुराख
पुलिस ने उस स्थान पर सक्रिय मोबाइल फोन को स्कैन किया, लेकिन कोई परिणाम नहीं मिला। उन्होंने कहा कि जब हम जांच कर रहे थे, तो हमें पता चला कि योगीश नाम का एक ऑटोरिक्शा चालक पुलिस के सामने पेश नहीं हुआ था। जब पुलिस ने योगीश से संपर्क करने की कोशिश की तो पता चला कि वह शहर में नहीं है। तभी पुलिस को पता चला कि घटना वाले दिन योगीश की गाड़ी सड़क पर चल रही थी। जांच टीम को पहला संदिग्ध मिल गया।
पुलिस ने कहा कि सबसे नज़दीकी पेट्रोल पंप श्री कृष्णा पेट्रोल पंप था। हमने उनके सीसीटीवी फुटेज की जांच की और पाया कि योगीश, हरिप्रसाद और आनंद अपराध से कुछ मिनट पहले पेट्रोल पंप पर गए थे। 20 जून, 2013 को रात करीब 11 बजे उन्होंने 100 रुपये का ईंधन भरा था। हमारे पास हमारे आदमी थे।
आरोपी ने की थी आत्म हत्या की कोशिश
ऐसे में पुलिस को लगा कि संदिग्ध उनके हाथ लग गए हैं, लेकिन उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि पहले वे आत्महत्या भी कर सकते हैं। बलात्कार की खबर सार्वजनिक होने के बाद, योगीश मैसूर के लिए बस में सवार हो गया था। टिप्पनवर ने बताया कि मैं उसके मोबाइल फोन को ट्रैक करने के बाद योगीश की तलाश में मैसूर गया। तब तक 26 जून हो चुका था और वह उडुपी लौट आया था। जब मैं मैसूर में था, तो योगीश ने मुझे फोन करके बताया कि पुलिस उसे कभी नहीं पकड़ पाएगी क्योंकि वह आत्महत्या करने की योजना बना रहा था। मैंने तुरंत स्थानीय पुलिस को सूचित किया, जिन्होंने उसे ट्रैक किया।
आखिरकार गिरफ्तार हुए थे आरोपी
ट्रैक करने के बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों यानी योगीश, आनंद और हरिप्रसाद को गिरफ़्तार कर लिया गया। पुलिस को पता चला कि योगीश के भाई बालचंद्र और हरिप्रसाद के भाई हरिंद्र पुजारी ने सबूत मिटाने की कोशिश की थी। 15 अक्टूबर 2015 को उडुपी जिले के एक मुख्य सत्र न्यायाधीश ने मामले में सभी पांचों आरोपियों को दोषी ठहराया। जज शिवशंकर बी अमरन्नावर ने योगीश, हरिप्रसाद और आनंद को आजीवन कारावास और 1 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। बालचंद्र और पुजारी को तीन साल की सजा सुनाई गई।