देश भर में हर राज्य का अपना पुलिस विभाग है और जमीन स्तर तक कानून व्यवस्था व जनता की रखवाली के लिए थाने बनाए जाते हैं। फिर इस थानों के अंतर्गत पुलिस चौकियां आती है, जो ग्रामीणों की समस्याओं के सर्वसुलभ होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी थाने का सबसे बड़ा अधिकारी कौन है और वह किसके निर्देशों के तहत काम करता? तो आइए जानते हैं..

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क्या है पुलिस थाना: किसी भी जिले पुलिस विभाग में सबसे माध्यम स्तर की इकाई के तौर पर थानों का निर्माण किया जाता है। हर जिले में इलाकेवार इनकी स्थापना की जाती है। यह पुलिस विभाग के लिए स्थानीय स्तर पर अपराध को रोकने व शांति बहाल रखने की अहम कड़ी होते हैं। थानों में विभाग से सम्बंधित दफ्तर, अस्थायी कारावास, पूछताछ कक्ष, शिकायत डेस्क, पुलिसकर्मियों के रहने के लिए आवास-शौचालय व पार्किंग की व्यवस्था होती है।

किनके अधीन होते हैं थाने: जिलेवार स्थिति में कई थाने होते हैं और फिर उन थानों के अपने अलग-अलग इलाके/क्षेत्र बंटे होते हैं। यह थाने जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक या पुलिस अधीक्षक के अधीन काम करते हैं। थानों का काम मुख्यतः होता है यदि क्षेत्र में जनता को किसी तरह की समस्या आती है या फिर कोई अपराध होता है तो उन पर संज्ञान लिया जाए। इसके अलावा, नागरिकों के द्वारा की गई शिकायतों पर भी कार्रवाई करने का काम थाने में होता है।

थाने का बड़ा अधिकारी कौन: किसी भी थाने का कोई न कोई प्रभारी होता है जो पूरी कार्यप्रणाली पर नजर बनाकर रखता है। प्रभारी के रूप में तैनात अधिकारी को स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ), एसओ, थानाध्यक्ष, कोतवाल के नाम से जानते हैं। यही पूरे थाने के प्रभारी होते हैं, अधिकतर इन पदों पर इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी को तैनात किया जाता है, लेकिन कभी-कभी क्षेत्र की भौगोलिक सीमा के आधार पर सब-इंस्पेक्टर को भी थाना प्रभारी बना दिया जाता है। थाने के प्रभारी के नीचे ही सिपाही, कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल जैसे पदों पर लोग तैनात होते हैं।

किसके निर्देश पर करते हैं काम: किसी भी थाने का प्रभारी सीधे जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक या पुलिस अधीक्षक को रिपोर्ट करता है। थाना प्रभारी को जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) या पुलिस अधीक्षक (एसपी) के निर्देशों पर ही काम करना होता है, क्योंकि थाना प्रभारी की नियुक्ति और तैनाती काम एसएसपी और एसपी ही देखता है। हालांकि, क्षेत्र में संगीन मामलों में विवेचना का अधिकार थाना प्रभारी के पास होता है, जिसकी रिपोर्ट आगे भेजी जाती है।

कमिश्नरेट सिस्टम में नियम अलग: कई जिलों में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली में नियम थोड़े से अलग हो जाते हैं। वहां किसी भी थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ), एसओ, थानाध्यक्ष, कोतवाल को सीधे पुलिस उपायुक्त (डिप्टी पुलिस कमिश्नर) के निर्देश पर काम करते हैं। वहीं, डिप्टी पुलिस कमिश्नर (डीसीपी) एक सामान्य वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) या पुलिस अधीक्षक (एसपी) की तरह काम करते हैं।