पूर्वांचल के सबसे बड़े और चर्चित माफिया डॉन में से एक प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ  मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या कर दी गई। पचास वर्षीय मुन्ना को झांसी से बागपत जेल लाया गया था।जहां से उसकी सोमवार(नौ जुलाई) को बसपा के पूर्व विधायक से रंगदारी वसूली के मामले में पेशी थी। इस दौरान सुबह पांच से छह बजे के बीच जेल में ही गोली मारकर हत्या कर दी गई। मुन्ना की हत्या में बागपत जेल में ही बंद कुख्यात बदमाश सुनील राठी का नाम सामने आ रहा है।लंबे समय से हत्या, अपहरण, रंगदारी आदि मामलों में संलिप्त रहे मुन्ना बजरंगी को पूर्वांचल में आतंक का  माना जाता रहा है। उसकी मौत पर पेश है आपराधिक जीवन से जुड़ी सात कहानियांः
1-सिर्फ पांचवी तक पढ़ाईः, ईंट-भट्ठे पर किया कामः माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी जौनपुर के पूरादयाल गांव निवासी था। वर्ष 1967 में पारसनाथ सिंह के घर जन्म हुआ।मुन्ना का मन पढ़ने-लिखने में नहीं लगता था। उसने सिर्फ पांचवी कक्षा तक पढ़ाई की। फिर पारिवारिक स्थिति खराब होने पर गांव के ईंट-भट्ठे पर रोजी-रोटी के लिए काम करने लगा।

2-17 साल की उम्र में रखा कदमः मुन्ना बजरंगी को बचपन से असलहों का शौक लगा। उसे अपराध की दुनिया आकर्षित करती थी। गांव में ही मारपीट के एक मामले में जब पुलिस ने छापा मारा तो मुन्ना बजरंगी के पास से अवैध असलहा बरामद हुआ। 17 साल की उम्र में पहली बार जौनपुर के सुरेरी थाना क्षेत्र में उसके खिलाफ केस दर्ज हुआ। इसके बाद मुन्ना ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक के बाद एक अपराध की घटनाओं से उसका नाता जुड़ता चला गया।

3-दो हत्याओं से बढ़ा खौफः1984 में पहली बार मुन्ना के हाथों किसी का कत्ल हुआ। उसने पहली बार एक व्यापारी की हत्या की थी। फिर मुन्ना ने जौनपुर के ही एक बीजेपी नेता रामचंद्र सिंह की हत्या कर पूरे जिले में अपना खौफ कायम किया।बताया जाता है कि मुन्ना बजरंगी का पहला संरक्षणदाता जौनपुर निवासी दबंग नेता गजराज सिंह था।उसके इशारे पर ही बीजेपी नेता रामचंद्र की मुन्ना ने हत्या की थी।

4-मुख्तार का बना दाया हाथःजब हत्या की कई घटनाओं से जौनपुर में मुन्ना बजरंगी ने खलबली मचाई तो पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी की नजर पड़ी। मुख्तार ने उसे अपनी गैंग में शामिल कर लिया। 1996 में सपा के टिकट पर विधायक बनने के बाद मुख्तार की ताकत काफी बढ़ गई। जिस पर मुख्तार के इशारे पर मुन्ना सभी सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा। ठेकों से मुख्तार गैंग को काफी कमाई मुन्ना करवाने लगा।
1995 में एक बार मुन्ना एसटीएफ के चंगुल में फंसा मगर मुठभेड़ से बच कर भाग निकला। यूपी में खुद को सुरक्षित न पाकर बाद में मुंबई को उसने ठिकाना बनाकर अपराध जारी रखा।

5- बीजेपी विधायक को मारी सैकड़ों गोलियांः 29 नवंबर 2005। यही वह तारीख थी, जब गाजीपुर के मोहम्मदाबाद सीट से बीजेपी के बाहुबली विधायक कृष्णनंद राय की हत्या हुई थी। आरोप के मुताबिक एके-47 से तब मुन्ना बजरंगी और उसके साथियों ने कृष्णानंद के काफिले पर करीब चार सौ राउंड गोलियां चलाईं थीं। जिससे विधायक सहित उनके छह सहयोगी मारे गए थे। जब पोस्टमार्टम हुआ था, तब हर किसी के शरीर से पचास से लेकर सौ गोलियां निकलीं थीं।इस घटना के बाद मुन्ना बजरंगी की पूर्वांचल के अपराधियों में तूती बोलने लगी।
6-नाटकीय ढंग से हुआ गिरफ्तारः बीजेपी विधायक की हत्या में नाम सामने आने के बाद मुन्ना बजरंगी को एनकाउंटर का खौफ सताता रहा। ऐसा कहा जाता है कि इससे बचने के लिए उसने खुद यूपी की बजाए दिल्ली पुलिस के सामने सरेंडर की शर्त रखी। उस वक्त दिल्ली पुलिस को भी एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की हत्या में उसकी तलाश थी। मुंबई में उसने 2009 में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। उसे नाटकीय ढंग से पुलिस ने गिरफ्तारी दिखाई। जिसके बाद उसे यूपी पुलिस ने कस्टडी में लिया, तब से विभिन्न जेलों में रहने के दौरान वह अलग-अलग मुकदमों में अदालतों में पेश होता रहा।
7-नेता बनने की ख्वाहिश रही अधूरीः अक्सर पेशी के दौरान मुन्ना बजरंगी सफेद कपड़े पहने हुए दिखता था। अपराध की दुनिया में लंबा वक्त बिताने के बाद उसे राजनीति में उतरने का चस्का लगा था। रंगदारी से करोड़ों रुपये वसूलने के बाद मुन्ना बजरंगी ने 2012 में मड़ियाहूं विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा मगर करारी हार हुई। इसके बाद पिछले विधानसभा चुनाव में उसने अपनी पत्नी सीमा को भी मैदान में उतारा था। मगर पत्नी को भी हार का सामना करना पड़ा। बताया जाता है कि मुन्ना बजरंगी करीब 40 से अधिक हत्या की घटनाओं में शामिल रहा।