कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले में मुरुगराजेंद्र मठ के प्रधान पुजारी शिवमूर्ति मुरुगा शरणारू ने जमानत के लिए कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका डाली है, जिसमें कारण बताया है कि उन्हें आश्रम कर्मचारियों का वेतन जारी करने और उन सभी के चेक पर दस्तखत करने के लिए जमानत दी जाए।

मुरुगा शरणारू को 1 सितंबर को किया गया था गिरफ्तार

कर्नाटक में प्रमुख लिंगायत समुदाय के आश्रम के प्रधान पुजारी शिवमूर्ति मुरुगा शरणारू को दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस संबंध में उनके खिलाफ 26 अगस्त को राज्य के एक बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा पॉस्को एक्ट के तहत शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद उन्हें 1 सितंबर को गिरफ्तार कर लिया गया था।

सैलरी चेक पर करना है साइन- याचिका में दिया तर्क

यह पहली बार नहीं है जब मठ के संत ने अपनी जमानत के लिए याचिका दायर की है। इससे पहले भी एक याचिका डाली गई थी जिसे चित्रदुर्ग की एक विशेष अदालत ने 23 सितंबर को खारिज कर दिया था। अब शरणारू ने एक बार फिर से अदालत का रुख किया है। याचिका में शरणारू ने जिन शर्तों के तहत जमानत मांगी, उनमें से एक में कर्मचारियों के वेतन चेक पर दस्तखत करने की बात कही गई है।

वकीलों ने कहा- जमानत नहीं मिली तो प्रभावित होंगे 3000 लोग

शरणारू के वकीलों ने तर्क दिया है कि यदि उन्हें वेतन के चेक पर दस्तखत करने की अनुमति के लिए रिहा नहीं किया जाता है तो मठ और उससे जुड़े संस्थानों में काम करने वाले करीब 3,000 कर्मचारियों के लिए समस्या पैदा हो जाएगी। शरणारू की ओर से यह तर्क दिया गया है कि मठ के एकमात्र ट्रस्टी होने के नाते केवल उन्हें ही चेक पर दस्तखत करने का अधिकार है।

हाई कोर्ट ने संत के वकीलों से मांगी जानकारी

इस संबंध में बुधवार, 28 सितंबर को कर्नाटक हाई कोर्ट ने शरणारू के वकीलों से कहा कि वह जानकारी दें कि मठ में वेतन कैसे दिया जाता है और क्या शरणारू का एक दस्तखत ही सभी चेक के लिए मान्य होगा? ऐसे में वकीलों द्वारा हाई कोर्ट को बताया गया कि शरणारू ही एकमात्र हस्ताक्षरकर्ता है।