कुछ दिनों पहले झारखंड के जमशेदपुर स्थित मशहूर Mahatma Gandhi Memorial (MGM) Medical College and Hospital में प्रसव पीड़ा के बाद इलाज कराने गई गर्भवती रिजवाना खातून ने अस्पताल कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि अस्पताल के फर्श पर खून गिरने के बाद उनसे खून साफ कराया गया। इतना ही नहीं उन्होंने आरोप लगाया था कि अस्पताल के कर्मचारी ने उन्हें चप्पल से पीटा था। उनके धर्म को लेकर उन्हें भला-बुरा कहा गया था और यह भी कहा गया कि वो कोरोना वायरस फैला रही हैं।
महिला ने बताया था कि उचित समय पर इलाज नहीं मिल पाने की वजह से गर्भ में उनके बच्चे की मौत हो गई थी। इस संबंध में उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को खत लिखकर जांच कराए जाने की मांग की थी। लिहाजा अब प्रशासन ने अस्पताल कर्मचारियों पर लगे सभी आरोपों की जांच कराई है। इस मामले पर जमशेदपुर प्रशासन की तरफ से कहा गया है कि महिला के आरोपों की जांच के बाद इससे संबंधित कोई सबूत नहीं मिले हैं।
अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि ‘महिला के आरोपों की जांच के लिए 4 सदस्यीय टीम का गठन किया गया था। जिसके रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘जांच के दौरान सामने आया कि अस्पताल में महिला के साथ चिकित्सकों और कर्मचारियों के बीच बकझक हुई थी। महिला का आरोप था कि अस्पताल में संतोषजनक इलाज नहीं मिला था।
लेकिन महिला के धर्म को लेकर उनपर कोई नफरत भरी टिप्पणी की गई या फिर उन्हें कोरोना वायरस फैलाने के लिए जिम्मेदार कहा गया…ऐसा कुछ जांच के दौरान नहीं पाया गया।’
इस मामले में जमशेदपुर के डीसी ने कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। यह रिपोर्ट अब स्वास्थ्य सचिव को सौंपी गई है और अब रिपोर्ट को देखने के बाद स्वास्थ्य विभाग अपनी बात रखेगा।
‘Indian Express’ ने इस मसले पर पीड़ित महिला के भाई मुनीर रजा से बातचीत की। मुनीर रजा ने आरोप लगाया कि ‘प्रशासन ने सबूत जुटाने की कोशिश ही नहीं की।
मुनीर रजा का आरोप है कि उनकी बहन के सामने अस्पताल के डॉक्टरों को लाकर पहचान की प्रक्रिया कराई गई थी लेकिन इस दौरान आरोपी चिकित्सक वहां मौजूद नहीं थे जिन्होंने उनकी बहन को बुरा-भला कहा था। यह जांच सिर्फ लीपापोती है।’
वहीं पीड़िता की बहन अमाना खातून का कहना है कि ‘वो घटना के दिन अपनी बहन के साथ अस्पताल में थीं। यहां उन्हें लेबर रूम में जाने के लिए कहा गया था जहां अस्पताल कर्मी ने उनके साथ बुरा बर्ताव किया था।
अस्पताल के कर्मचारी ने उनकी बहन की हालत को गंभीरता से नहीं लिया था। इसके बाद बकझक शुरू हुई थी और उनकी बहन को अस्पताल के फर्श पर गिरे खून को साफ करने के लिए कहा गया था।
पीड़िता की बहन का कहना है कि वो अपनी बहन को लेकर बाद में एक निजी नर्सिंग होम में गईं जहां चिकित्सक ने उन्हें बताया कि बच्चे की मौत हो चुकी है। इससे हम काफी टूट गए।’
इस महिला ने जो खत मुख्यमंत्री को लिखा था उसमें कहा था कि ‘अगर उसके मामले को अस्पताल प्रबंधन ने गंभीरता से लिया होता तो गर्भ में उनके बच्चे की मौत नहीं होती।
मैं अपील करती हूं कि अस्पताल में ऐसा किसी अन्य महिला के साथ भी हो सकता है इसलिए सभी दोषियों पर कार्रवाई की जाए।’ आपको बता दें कि रिजवाना खातुन 16 अप्रैल को इलाज के लिए अस्पताल में गई थीं। घटना के बाद उन्होंने 19 अप्रैल को सीएम को चिट्ठी लिखी थी।

