Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में शिक्षा घोटाले का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां के दामोह में जुड़वां बहनों ने एक ही नाम और एक ही बीए मार्कशीट का इस्तेमाल करते हुए अलग-अलग सरकारी स्कूलों में टीचिंग की नौकरी हासिल की। असलियत में ड्रिग्री उनमें से एक की ही थी।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक 18 साल तक दोनों ने वेतन लिया, बच्चों को पढ़ाया और किसी की भी पहचान नहीं हुई। दोनों बहनों ने अपने फर्जी कार्यकाल के दौरान 80 लाख रुपये से अधिक की कमाई की, जो कुल मिलाकर 1.6 करोड़ रुपये है।
इस तरह सामने आया सालों से चल रहा घोटाला
मामला तब सामने आया जब दोनों ने एक ही स्कूल में नौकरी के लिए आवेदन किया, जिससे शिक्षा विभाग को संदेह हुआ। विभाग ने बहनों में से एक – दीपेंद्र सोनी की पत्नी रश्मि को निलंबित कर दिया। दूसरी, विजय सोनी की पत्नी रश्मि फरार है।
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विडंबना यह है कि दोनों ही दस्तावेजों की जालसाजी करते हुए मोरल साइंस पढ़ा रही थीं। रिपोर्ट के अनुसार दमोह के जिला शिक्षा अधिकारी एसके नेमम ने कहा, “एक ने मूल मार्कशीट का इस्तेमाल किया, दूसरे ने जाली कॉपी जमा की। जब दोनों ने सत्यापन के लिए अलग-अलग दस्तावेज दिए, तो सच्चाई सामने आने लगी।”
दमोह में 19 फर्जी शिक्षक, सिर्फ 3 बर्खास्त
गौरतलब है कि ये कोई अकेली घटना नहीं है। विभागीय जांच में पता चला है कि दमोह में 19 शिक्षकों की भर्ती फर्जी या संदिग्ध दस्तावेजों के आधार पर की गई थी। फिर भी, अब तक सिर्फ तीन को बर्खास्त किया गया है। बाकी 16 अभी भी छात्रों को पढ़ा रहे हैं।
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रिपोर्ट के अनुसार इन 19 शिक्षकों ने पिछले कुछ सालों में सामूहिक रूप से 22.93 करोड़ रुपये से अधिक वेतन पाया है। एक और चौंकाने वाला मामला नीलम तिवारी और आशा मिश्रा का है – जो एक ही परिवार के भाइयों से विवाहित जुड़वां बहनें हैं – जो फर्जी डी.एड प्रमाण पत्र के साथ मैनवार और गढ़ोला खंडे के स्कूलों में काम कर रही थीं।
भोपाल, जबलपुर और यहां तक कि हाईकोर्ट तक कई शिकायतें पहुंची हैं, जिन्होंने 9 अप्रैल तक कार्रवाई करने का आदेश दिया है। लेकिन ज्यादातर आरोपी वेतन लेते हुए पढ़ाते रहते हैं।