Kaun Hai Chhota Rajan: होटल मालिक जय शेट्टी हत्याकांड में बॉम्बे हाई कोर्ट ने गैंगस्टर छोटा राजन को एक लाख के मुचलके पर बुधवार को जमानत दे दिया। हालांकि, वो अब भी दिल्ली की तिहाड़ जेल में ही बंद रहेगा क्योंकि वो पहले से ही 2011 में पत्रकार ज्योतिर्मय डे की हत्या के लिए सजा काट रहा है। 23 साल पुराने मामले में कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले ने लोगों को चौंका दिया है। लोग हैरान हैं कि कुख्यात अपराधी को कोर्ट ने कैसे राहत दे दी।

राजेंद्र कैसे छोटा राजन बन गया

बता दें कि छोटा राजन अंडर वर्ल्ड का बड़ा नाम है। उस पर 70 संगीन मामलों के आरोप है। उसकी गिरफ्तारी के लिए की गई भारतीय पुलिस की मशक्कत से स्पष्ट है कि अपराध की जगत में उसका कद क्या रहा होगा। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि बम्बई की गलियों में छोटी-छोटी आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाला राजेंद्र कैसे छोटा राजन बन गया।

बात सत्तर के दशक की है। बम्बई में डी-कंपनी बड़ी तेजी फल फूल रहा था। दाऊद इब्राहिम का पूरी बम्बई पर राज चलता था। लोग डी कंपनी के नाम से खौफ खाते थे। इधर, राजेंद्र ने अपराध की गलियों में अभी कदम ही रखा था।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार छोटा राजन का असली नाम राजेंद्र निखलजे है। वो बम्बई के चैंबूर इलाके में सिनेमा की टिकटें ब्लैक किया करता था। पुलिस ने जब उसको एक बार ऐसा करते हुए पकड़ लिया था तो उसने बिना डरे पुलिसवालों की ही लाठी छीनकर उनकी पिटाई कर दी थी।

इस कारण दाऊद इब्राहिम की नजर में आ गया

धीरे-धीरे वो अपराध की दुनिया में पूरी तरह घुस गया और आखिरकार सन 1980 में बड़ा राजन गैंग का सदस्य बन गया। हालांकि, बड़ा राजन की हत्या कर दी गई। ऐसे में राजेंद्र निखलजे ने बदला लेने का एलान कर दिया। बदला लेने की कोशिशें तो नाकाम रहीं लेकिन वो डी कंपनी के बॉस दाऊद इब्राहिम की नजर में आ गया।

इसका असर ये हुआ कि वो दाऊद की कोर टीम में शामिल हो गया और धीरे-धीरे अंडलवर्ल्ड के डॉन का दाहिना हाथ बन गया। उसके आदेश के बिना गैंग के सदस्यों का बम्बई में किसी तरह की कोई घटना को अंजाम देना नामुंकिन हो गया।

ऐसे में गैंग के पुराने सदस्यों ने जलन के कारण दाऊद को उसके खिलाफ भड़काना शुरू किया। वे कहने लगे अगर उसे काबू में नहीं किया तो वो बागी बन जाएगा। इस बात का दाऊद पर असर पड़ा और वो राजेंद्र को महत्वपूर्ण मामलों से अलग रखने लगे। वहीं, सन 1992 ब्लास्ट के बाद दोनों के बीच की दूरी और बढ़ गई। कारण ये कि इस घटना की प्लानिंग से उसे एकदम अगल रखा गया था।

ऐसे हुई बदले की कहानी की शुरुआत

सन 1993-94 में दूरी बहुत ज्यादा बढ़ गई। हालांकि, रिश्ते का अंत और बदले की कहानी की शुरुआत तब हुई जब उसे ये पता चला कि दाऊद की दुबई में आयोजित पार्टी में जहां वो शामिल होने वाला था में उसकी हत्या की फुल प्लानिंग कर ली गई है। इस बात से उसे धक्का पहुंचा। खैर वो भारतीय दूतावास की मदद से दुबई से भागने में सफल रहा। लेकिन दाऊद के साम्राज्य का अंत उसका मकसद बन गया।

छोटा राजन ने इंडोनेशिया में रहने का फैसला किया। जबकि दाऊद दुबई में बैठा था। आदावत दोनों से तरफ से बराबर की थी। ऐसे में दाऊद छोटा राजन को और छोटा राजन दाऊद को मारने की कोशिश में जुट गए। हालांकि, दोनों में से कोई इस काम में सफल नहीं हो पाए।

भारतीय पुलिस को चकमा देकर ऐसे भागा था राजन

पुलिस ने कई बार छोटा राजन को गिरफ्तार करने की कोशिश की। लेकिन वो पुलिस को चकमा देकर भागने में सफल रहा। एस बार भारतीय एजेंसियों को सूचना मिली कि छोटा राजन बैंकॉक के एक अस्पताल में अपनी पहचान छिपा कर इलाज करा रहा है।

उन्होंने राजन के प्रत्यर्पण की कोशिश शुरू कर दी। सीबीआई की एक टीम थाईलैंड जाने की तैयारी करने लगी। इसी बीच अपने वफादार विक्की की मदद से वो अस्पताल की खड़की से फरार होने में सफल रहा। विक्की को छोटा राजन का दाहिना हाथ माना जाता है।

हालांकि, छोटा राजन के ख़िलाफ़ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। ऐसे में साल 2015 में वो बाली में इंडोनेशिया पुलिस की गिरफ़्त में आ गया। फिर भारतीय पुलिस उसका प्रत्यर्पण कर दिल्ली ले आई। तब से वो तिहाड़ जेल में बंद है। जबकि दाऊद अब भी एक अनसुलझी पहले बना हुआ है।