मध्य प्रदेश के खंडवा में आधी रात को जेल ब्रेक (Jailbreak) की वारदात, महाराष्ट्र के सतारा में एक पुलिसकर्मी की मोटरसाइकिल चोरी करना, उत्तर प्रदेश के बिजनौर से एक महत्वपूर्ण कड़ी और कर्नाटक के धारवाड़ के एक बंगले से मिले सुराग – ये देश भर के प्रमुख बिंदु हैं जो महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी दस्ते (ATS) द्वारा पुणे के बीच में स्थित प्रसिद्ध श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणेश मंदिर के पास 10 जुलाई 2014 को दोपहर 2 बजे के आसपास बम विस्फोट के अपराधियों का पता लगाने के लिए एक काफी मशक्कत भरी जांच से जुड़े थे।
24 घंटे फुलप्रूफ सुरक्षा कवच के बावजूद मंदिर के पास बम धमाका
दगडूशेठ हलवाई गणेश मंदिर फरसखाना और विश्रामबाग पुलिस स्टेशनों के पास स्थित है। इसके अलावा वहां पुलिस कर्मियों और निजी सुरक्षा एजेंसी द्वारा चौबीसों घंटे पहरा दिया जाता है। यह सारा फुलप्रूफ सुरक्षा कवच बम विस्फोट से टूट गया था। यह बम विस्फोट गणेश मंदिर के पास खड़ी एक मोटरसाइकिल से हुआ था।
खंडवा जेल ब्रेक कांड से हुई पुणे बम विस्फोट की साजिश की शुरुआत
पुलिस रिकॉर्ड इस मामले की शुरुआत 1 अक्टूबर, 2013 को खंडवा के एक जेल ब्रेक कांड में देखता है। वहां प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के छह कथित गुर्गों और एक विचाराधीन कैदी ने दो पुलिसकर्मियों पर हमला किया, उनके वायरलेस सेट और राइफलें छीन लीं और मोटरसाइकिलें चुराकर रात में फरार हो गए।
स्थानीय लोगों ने चोर होने के शक में पकड़े विचाराधीन कैदी
विचाराधीन कैदी को स्थानीय निवासियों ने जल्दी ही पकड़ लिया। लोगों ने उन पर चोर होने का संदेह जताया था। छह फरार कैदियों की पहचान एजाजुद्दीन उर्फ एजाज मोहम्मद अजीजुद्दीन, असलम अयूब खान, महबूब उर्फ गुड्डू इस्माइल खान, अमजद रमजान खान, जाकिर हुसैन उर्फ सादिक बदरुल हुसैन और अबू फैसल उर्फ डॉक्टर के रूप में हुई। इनमें से अबू फैसल को एमपी पुलिस ने दो महीने बाद गिरफ्तार कर लिया था, जबकि बाकी पांच फरार थे।
सतारा अदालत परिसर से चुराई पुलिसकर्मी की मोटरसाइकिल
पुणे विस्फोट की जांच कर रहे एटीएस के अधिकारियों के लिए, पहला बड़ा ब्रेक घटना स्थल के पास लगे सीसीटीवी फुटेज से मिला, जिसमें संदिग्धों की तस्वीरें जेलब्रेक के पांचों आरोपियों से मेल खाती थीं। जांच में यह भी पता चला कि मोटरसाइकिल सतारा जिले की एक अदालत के परिसर से चोरी हुई थी और एक स्थानीय पुलिसकर्मी की थी।
पहली बार नहीं फटा बम तो दोबारा लगाई मोटरसाइकिल
जांच में शामिल रिटायर्ड सहायक पुलिस आयुक्त भानुप्रताप बर्गे के मुताबिक आरोपी ने एक सप्ताह पहले फरसखाना स्टेशन के पास मोटरसाइकिल पर रखे विस्फोटकों से धमाका करने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा, “यह बम फटा नहीं था, फिर वे 7 जुलाई को मौके पर आए और मोटरसाइकिल ले गए। इसके बाद उन्होंने 10 जुलाई को दोबारा उसी स्थान पर बम के साथ मोटरसाइकिल खड़ी कर दी। इस बार धमाका हो गया।
पुणे में धमाके के बाद कोल्हापुर भाग गए थे सभी आरोपी
जांच से पता चला कि बम रखने के बाद आरोपी एक बस से कोल्हापुर भाग गए। वे पुणे के स्वारगेट डिपो से बस में सवार हुए थे। सीसीटीवी फुटेज के अलावा, जांचकर्ताओं द्वारा दिखाए गए फुटेज और तस्वीरों से एक सह-यात्री द्वारा भी उनकी पहचान की गई थी। जब एटीएस की जांच आगे बढ़ी, तो 12 सितंबर, 2014 को बिजनौर के जतन मोहल्ला से एक और विस्फोट की सूचना मिली, जिसमें पुणे मामले के आरोपियों की गतिविधियों को कैप्चर करने वाले इलाके के सीसीटीवी फुटेज थे।
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कर्नाटक के धारवाड़ पहुंचा बिजनौर की जांच का सिरा
बिजनौर में जांचकर्ताओं ने घटनास्थल से तीन सिम कार्ड भी बरामद किए जो कर्नाटक के धारवाड़ निवासी शिवाजी कुलकर्णी के नाम से खरीदे गए थे। इसके बाद, कुलकर्णी ने पुणे विस्फोट मामले की जांच कर रही एटीएस टीम को बताया कि आरोपियों में से तीन – एजाजुद्दीन, जाकिर हुसैन और गुड्डू ने जनवरी 2014 में अरविंद, आनंद और किसान के रूप में अपनी पहचान बताकर धारवाड़ में उनके बंगले में किराए पर एक कमरा लिया था।
धोखे से मकान मालिक के दस्तावेजों पर लिया सिम कार्ड
जांचकर्ताओं को तब एक वेंडर से पता चला कि आरोपी ने सिम कार्ड हासिल करने के लिए कुलकर्णी के वोटिंग कार्ड और बिजली बिल जैसे दस्तावेजों की फोटोकॉपी का इस्तेमाल किया था। इस बीच, बंगले में रहने वाले तीन छात्रों नवीन, हर्षवर्धन और गौस ई आजम ने सीसीटीवी फुटेज और तस्वीरों से विस्फोट के आरोपियों की पहचान अरविंद, आनंद और किसान के रूप में की। जांच, सीसीटीवी फुटेज और बयानों के आधार पर एटीएस ने दगडूशेठ मंदिर के पास हुए बम विस्फोट में खंडवा जेल ब्रेक से सिमी के पांच कथित सदस्यों को आरोपी बनाया था।
जांच पूरी होने के बाद क्या हुआ
दो आरोपियों एजाजुद्दीन और असलम को अप्रैल 2015 में तेलंगाना पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। इस मुठभेड़ में तीन पुलिसकर्मी भी मारे गए थे। अन्य तीन आरोपी गुड्डू, अमजद और ज़ाकिर को फरवरी 2016 में ओडिशा के राउरकेला से एक सहयोगी के साथ पुलिस टीमों के साथ मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया गया था। वे भी 31 अक्टूबर, 2016 को भोपाल की एक जेल से कथित रूप से भाग जाने के बाद सिमी के पांच अन्य कथित सदस्यों के साथ एक पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे। सभी पांचों आरोपियों के मारे जाने के बाद एटीएस ने जून 2017 में एक अदालत के समक्ष एक अंतिम रिपोर्ट जमा करके पुणे विस्फोट की जांच बंद कर दी थी।