Himachal Pradesh Social Bonds: हिमाचल प्रदेश की सुरम्य चंबा घाटी में बसा सलूणी का भंडाल गांव लुभावने पहाड़ी दृश्यों, आकर्षक नदी किनारे बने घरों, स्लेट-छत वाली घास के शेड, सुंदर रास्ते और आकर्षक जंगलों के साथ अपने आप में एक छोटा स्वर्ग माना जाता है। यहां की आबादी, जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों हैं। बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय है। सभी लोग गांव में लगभग एक सौ घरों में एक बड़े परिवार की तरह रहते हैं। वे सभी त्यौहार मनाते हैं और विभिन्न समुदायों से सरपंचों का चुनाव भी करते हैं।
इससे पहले भंडाल गांव या आसपास नहीं जलाया गया था कोई घर
भंडाल गांव और आसपास के लोगों को याद नहीं है कि उन्होंने कभी किसी भीड़ या घर को आग की लपटों में जलते देखा हो। लेकिन इस छोटे से शांतिप्रिय गांव ने 9 जून और आने वाले दिनों में यह सब देखा। दरअसल, वहां 27 साल के एक चरवाहे मनोहर लाल की हत्या कर दी गई और आठ टुकड़ों में उसका क्षत-विक्षत शरीर जूट की तीन बोरियों में भरा हुआ गांव में एक पहाड़ी से नीचे बहने वाली धारा के पास पाया गया था।
मनोहर लाल के क्रूर हत्याकांड ने जल्द ही सांप्रदायिक रंग ले लिया
इस क्रूर हत्याकांड ने जल्द ही सांप्रदायिक रंग ले लिया। स्थानीय नेताओं द्वारा समर्थित एक उत्तेजित भीड़ ने किहार में क्षेत्रीय पुलिस स्टेशन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और बाद में संघनी की ओर मार्च किया। वहां गुस्से से बेकाबू भीड़ ने 15 जून को मनोहर लाल की हत्या के आरोपी आरोपी 40 साल के मुसाफिर हुसैन के घरों में आग लगा दी। पुलिस ने पहले कहा था कि हुसैन को संदेह था कि मनोहर का उसकी नाबालिग भतीजी के साथ संबंध था। इसलिए उसने बदला लेने के लिए अपराध किया।
मुसाफिर हुसैन ने मनोहर लाल को घर बुलाया और बेरहमी से हत्या कर दी
पहाड़ी की चोटी पर रहने वाले एक पशु व्यापारी मुसाफिर हुसैन ने कथित तौर पर मनोहर लाल को अपने घर बुलाया और वहां उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने अब तक हुसैन और उसके परिवार के पांच सदस्यों को अपराध में उनकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया है। छह अन्य को भी हिरासत में लिया गया है। इसके बावजूद लगभग एक सप्ताह बाद भी भंडाल गांव स्थिति सामान्य करने के लिए संघर्ष कर रहा है।
हिंदुओं के वोट से दो दशक तक गांव के सरपंच रहे याकूब मगरे
कमजोर और झुर्रीदार याकूब मगरे ने साल 2000 से 2020 तक दो दशकों तक भंडाल गांव के सरपंच के रूप में कार्य किया। वे अब भी मानते हैं कि उनके गांव का समुदाय एक बेहतरीन समुदाय है, जिसमें धर्म के आधार पर कोई विभाजन नहीं है। उन्होंने कहा, “हमारे गांव की ताकत हमारी एकता में निहित है। हमारी आबादी लगभग 5,500 लोगों की है, जिनमें से पंचायत में 2,764 मतदाता हैं और उनमें से केवल 650 मुस्लिम हैं। मुझे उन सभी ने सरपंच बनाया। क्या आपको लगता है कि केवल मुसलमानों ने मुझे वोट दिया? मेरे हिंदू भाइयों और बहनों ने हमेशा मेरा समर्थन किया है।”
मनोहर के लापता होने पर पूरे गांव की तलाश, हत्या के बाद निकाला मार्च
इन दिनों मगरे का एक भतीजा गांव का उपसरपंच है। मगरे को याद आता है कि कैसे पूरा गांव परेशान हो गया था जब अपने परिवार में सबसे छोटा और मां- बाप का इकलौता बेटा मनोहर लाल लापता हो गया था। उन्होंने कहा, “हमने लोगों को फोन किया, पूछताछ की और पूरे गांव में उसे खोजा।” उनका कहना है कि 9 जून को उनके समुदाय के युवा मनोहर लाल के शरीर के अंगों की खोज करने और उन्हें हासिल करने में सबसे आगे थे। मगरे ने कहा, “अगले दिन हमने किहार पुलिस स्टेशन तक एक मार्च में हिस्सा लिया और मांग की कि इस क्रूर अपराध के अपराधियों को इंसाफ के कटघरे में लाया जाना चाहिए।”
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गांव के सभी लोगों ने एकजुट होकर की हत्याकांड की निंदा, मांगा इंसाफ
भंडाल के पूर्व सरपंच ने बताया कि तब तक घटना ने अलग ही रंग ले लिया था। कुछ बाहरी लोग थे, कुछ लोग तरह-तरह की टिप्पणियाँ कर रहे थे…” मगरे वापस लौट गए। उन्होंने कहा, “हम किसी भी विवाद और अशांति से खुद को दूर रखते हुए, अपने घरों को लौट आए। लेकिन यकीन मानिए, सभी ग्रामीण इस हत्या की कड़ी निंदा करते हैं। हमारा उस विशेष परिवार से कोई लेना-देना नहीं है।” गांव की एकजुटता दिखाने के लिए मगरे सहित समुदाय के सदस्यों ने राज्य सरकार को एक ज्ञापन सौंपा है। इसमें जल्दी न्याय और जिम्मेदार परिवार के सभी सदस्यों के लिए कड़ी सजा दिए जाने का आग्रह किया गया है।
आसपास हैं घर और दुकानें, खुले तौर पर कारोबारी लेन देन का रिश्ता
भंडाल निवासी 51 वर्षीय रग्गी देवी के लिए यह प्रतिक्रिया कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उन्होंने कहा, “अरे, हमारा बहुत आना जाना है।” उनकी दिल छू लेने वाली रोजमर्रा की बातचीत के बारे में बताते हुए वह कहती हैं, “हममें से कई लोग पशुपालन से जुड़े हैं। हमारे मवेशी अक्सर एक साथ चरते हैं, और हम दूध भी साझा करते हैं। हमारे गाँव में मुसलमान हैं जिनके पास गायें हैं। हालाँकि हमारे रहने की जगहें एक-दूसरे से सटी हुई नहीं हो सकती हैं। फिर भी ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ हमारे घर एक-दूसरे के करीब हैं और कारोबारी लेन-देन का खुला रिश्ता है। हम एक-दूसरे के घरों और दुकानों पर भी आते-जाते हैं।”