स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने गुप्त ऑपरेशन कर पिछले महीने दुबई से गुरुग्राम के मोस्ट वांटेड कौशल (38) को गिरफ्तार कर लिया। एक केरल निवासी पुलिस वाले का फोन कौशल ने इस्तेमाल किया था। कौशल के फर्जी पासपोर्ट की एक कॉपी उसके आदमी के यहां से पहले ही बरामद हो चुकी थी। फिर पुलिस की टीमों ने दुबई के लिए उड़ान भरी और दो महीने तक वहां डेरा डाले रहे। स्थानीय अधिकारियों के साथ साझेदारी कर उसे गिरफ्तार करने में पुलिस कामयाब रही।
कौशल से पूछ-ताछ के दौरान कई अहम जानकारियां बाहर निकलकर आईं। लेकिन कौशल की पूछताछ के बाद शुरू की गई एक पुलिस जांच में पुलिस को झटका लगा है। कौशल 2017 में भारत से भाग गया जब वह पैरोल पर जेल से बाहर था। वर्क वीजा पर दुबई पहुंचने से पहले वह कुछ समय बैंकॉक में रहा। वह संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) शहर में एक किराए के घर में रहता था और समय-समय पर अपना रूप बदलता रहता था।
स्पैनिश पहचान पर अफ्रीका भागने के फिराक में था : वह विभिन्न देशों के सिम कार्ड का उपयोग करके जबरन वसूली करता और अपने गिरोह के सदस्यों को गुरुग्राम और इसके आस-पास के क्षेत्रों में सक्रिय रखता था। ज्वैलर्स, होटल व्यवसायियों और रियल एस्टेट से गिरोह द्वारा एकत्र किए गए धन को हवाला लेनदेन के माध्यम से कौशल को भेजा गया था। वह नकली स्पैनिश पहचान पर अफ्रीका भागने के फिराक में था। लेकिन उससे पहले पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस की खुफिया जानकारी रखता था: बता दें कि, जबरन वसूली, किडनैपिंग, हवाले के माध्यम से पैसो का लेन देन करने में कौशल की मदद पुलिस कर रही थी। मीडियो रिपोर्टस के मुताबिक, एक पुलिसवाले ने बताया कि उसके और उसके गिरोह के खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से जानते थे, जिसमें गुरुग्राम के पड़ोसी शहर रेवाड़ी, फरीदाबाद और पलवल में जबरन वसूली, हत्या, हत्या के प्रयास और अपहरण के लगभग 200 मामले शामिल थे। यहीं नहीं कौशल के पास डीएसपी, इंस्पेक्टर और सब-इंस्पेक्टर, यहां तक कि सबसे गुप्त पुलिस विभागअपराध शाखा और विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के सभी स्थानान्तरण और पोस्टिंग की पहले से ही सूचना उपलब्ध थी। उन्होंने कहा, दो प्रमुख कांस्टेबल, राज कुमार और प्रदीप धारीवाल को अपराध प्रभु और उसके आदमी के साथ बर्खास्त कर दिया गया है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, गुरुग्राम में ही नहीं, बल्कि फरीदाबाद और रेवाड़ी में भी पुलिस विभाग में अन्य पुलिस वाले भी उसके साथ हो सकते हैं।
पुलिस वाले कर रहे थे मदद: दो पुलिसवाले पुलिस की रणनीतियों पर नज़र रख रहे थे और उन्हें कौशल और उनके लोगों के साथ साझा कर रहे थे। इससे उन्हें पुलिस से एक कदम आगे रहने और पुलिस के जाल से दूर रहने में मदद मिलती रही। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, पुलिस ने बताया कि भारत से भागने से पहले ही दो पुलिस वालों ने उन्होंने हरियाणा और राजस्थान में लगातार स्थान बदलने में मदद की। फरीदाबाद क्राइम ब्रांच के एसीपी अनिल यादव ने कहा कि हेड कांस्टेबल राज कुमार, पहले एसटीएफ में था। जो कौशल और उसके शूटर से सीधे संपर्क में था। इस गिरोह का फरीदाबाद प्रभारी सचिन खेरी है।
विकास चौधरी की हत्या करने में पुलिस वाले ने की मदद: राजकुमार कौशल के भतीजे अमित डागर और शूटर नीरज फरीदपुर के संपर्क में भी था। राज कुमार ने ही कांग्रेस नेता विकास चौधरी सहित कई टारगेट और उनके फोन नंबर दिए थे। कौशल ने कांग्रेस नेता से पैसे की मांग के लिए व्हाट्सएप कॉल किया। चौधरी ने पैसे देने से इनकार कर दिया और साथ ही अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया। जिसके बाद विकास चौधरी को फरीदाबाद में एक जिम के बाहर दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसी साल, जब इस क्षेत्र में आतंक की एक खबर फैलाई गई तो, हेड कांस्टेबल प्रदीप धारीवाल विकास चौधरी के सुरक्षा टीम का हिस्सा थे। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, राज कुमार ने धारीवाल से चौधरी के बारे में जानकारी हासिल कर। उसे कौशल और सचिन खेरी तक पहुंचाया था। इस जानकारी के लिए राज कुमार ने गुरुग्राम में कौशल की मां से 3 लाख रुपये लिए।
पुलिस वाले हुए बर्खास्त: एसीपी अनिल यादव ने कहा कि कौशल ने पूछताछ के दौरान दो हेड कांस्टेबलों को अपने सहयोगी के रूप में नामित किया है। उन्होंने उसके लिए काम किया। एसटीएफ और क्राइम ब्रांच के संबंध में सारी जानकारी दी। उन्होंने कहा, कौशल के गिरफ्तार होने से पहले हेड कांस्टेबल राज कुमार ने लंबी छुट्टी ली और उनके साथ संपर्क में रहा, पुलिस स्रोत ने कॉल रिकॉर्ड विवरण निकाल इस बात की पुष्टी की है। फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर के.के. राव ने कहा, मामला बहुत गंभीर था, इसलिए हेड कांस्टेबल राज कुमार को बर्खास्त कर दिया गया है। हाल के अभियानों में कौशल के लगभग 20 आदमी को पकड़ लिया गया है। अब पुलिस शेष 35 का पीछा कर रही है।
