Gujarat High Court News: गुजरात हाई कोर्ट ने शनिवार को एक पंजीकृत वक्फ निकाय और ट्रस्ट सुन्नी अवामी फोरम द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया। इसमें 600 साल पुराने पीर इमाम शाह बावा दरगाह और उसके आसपास के कथित धर्मांतरण के संबंध में अदालत के दखल की मांग की गई थी। उनका दावा था कि अहमदाबाद शहर के पास पिराना गांव में मुस्लिम धार्मिक स्थलों को हिंदू धार्मिक स्थलों में बदल दिया गया।

प्रॉपर्टी के मुद्दे को “सांप्रदायिक मुद्दे” में बदल रहा है याचिका करने वाला- हाई कोर्ट

यह कहते हुए कि याचिका करने वाला प्रॉपर्टी के मुद्दे को “सांप्रदायिक मुद्दे” में बदल रहा है चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अनिरुद्ध माई की बेंच ने जनहित याचिका के रूप में याचिका की स्थिति पर कई सवाल उठाए। जबकि राज्य सरकार, अहमदाबाद कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, मामलतदार, जिला पुलिस अधीक्षक, असलाली पुलिस स्टेशन इंस्पेक्टर और इमामशाह बावा रोजा ट्रस्ट को जनहित याचिका में प्रतिवादी पक्ष बनाया गया था तो अदालत ने कहा कि जनहित याचिका में दरगाह का प्रबंधन करने वाले ट्रस्टियों और सदस्यों को पक्ष नहीं बनाया गया था।

जनहित याचिका में पूजा स्थल अधिनियम द्वारा लगाए गए रोक के उल्लंघन का दिया हवाला

सुन्नी अवामी फोरम के ट्रस्टी उस्मान हाजी अहमद कुरेशी के माध्यम से दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि पूजा स्थल अधिनियम द्वारा लगाए गए रोक के उल्लंघन में पीर इमामशाह बावा को अब ‘श्री निष्कलंकी नारायण तीर्थधाम प्रणपीह’ में बदल दिया गया है। हालांकि, सीजे अग्रवाल ने योग्यता के आधार पर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जब तक कि याचिकाकर्ता एक जनहित याचिका के रूप में याचिका की अपनी दलील स्थापित करने में सक्षम नहीं हो गया।

जनहित याचिका को खारिज करते हुए सीजे अग्रवाल ने याचिकाकर्ता के वकील से क्या कहा

जनहित याचिका को खारिज करते हुए सीजे अग्रवाल ने याचिकाकर्ता के वकील से मौखिक रूप से कहा, “हम जनहित याचिका में समुदाय के मुद्दे पर नहीं हैं। हम आपको इसे एक सामुदायिक मुद्दा बनाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं… ये ऐसे मुद्दे हैं जो उन लोगों द्वारा बनाए गए हैं जो वितंडावादी हैं… वे एक सामुदायिक तनाव की स्थिति पैदा कर रहे हैं, हम इसे तूल देकर किसी को भी ऐसा करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। याचिका के मेरिट पर एक भी जवाब नहीं, संपत्ति के प्रबंधन पर यहां पक्षकार नहीं बनाए जाने पर एक भी जवाब नहीं, यहां एक भी जवाब नहीं कि विवाद थे, जो वक्फ बोर्ड के सामने उठाए गए थे, जिनका फैसला ट्रस्ट के पक्ष में हुआ… मामला मजह एक संपत्ति बारे में है, आप इसे सांप्रदायिक मुद्दा बना रहे हैं… यह जनहित याचिका का मामला नहीं है।”

अहमदाबाद के पास संवेदनशील पिराना गांव में है सूफी संत पीर इमामशाह बावा ट्रस्ट

संवेदनशील पिराना गांव में स्थित सूफी संत पीर इमामशाह बावा ट्रस्ट द्वारा संचालित परिसर में मूल रूप से उनके चार पोते और एक पोती का मंदिर, उनके नाम पर एक मस्जिद और एक कब्रिस्तान शामिल था जहां पीर के वंशज सैयद इमामशाह बावा को दफनाया गया है। यहां तीन कब्रों में अब बदलाव किए गए हैं। कुछ को कंक्रीट की दीवारों से ढक दिया गया है, मीनारों को संशोधित किया गया है, कब्रिस्तान और दरगाह को विभाजित करने के लिए एक दीवार बनाई गई है, मूर्तियां स्थापित की गई हैं और कर्बला गायब हो गया है।

जनवरी 2022 में जिला कलेक्टर ने ट्रस्ट को दी थी दरगाह में दीवार बनाने की इजाजत

जनवरी 2022 में जिला कलेक्टर द्वारा सैय्यद मुस्लिम ट्रस्टियों की आपत्तियों पर विचार किए बिना तीन सैय्यद मुस्लिम ट्रस्टी और आठ हिंदू ट्रस्टी वाले 11 सदस्यीय इमामशाह बावा रोजा ट्रस्ट को दीवार बनाने की इजाजत दी गई थी। इसमें अन्य लाभार्थी भी शामिल थे। इसके बाद पिछले अप्रैल में जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया कि दरगाह परिसर में मूर्तियाँ स्थापित करने की “अवैध और गैरकानूनी गतिविधियाँ” ट्रस्ट द्वारा “प्रतिवादी (राज्य) अधिकारियों की मिलीभगत से” की जा रही हैं।

पीर इमामशाह बावा को एक हिंदू संत के रूप में बताने की साजिश की दुहाई

इसमें कहा गया है कि सतपंथी (जैसा कि पीर इमामशाह बावा के हिंदू अनुयायियों को कहा जाता है) ट्रस्ट का प्रबंधन “सैयद और अन्य मुसलमानों को धार्मिक संस्कार और अनुष्ठान करने से वंचित करने और पीर इमामशाह बावा को एक हिंदू संत के रूप में चित्रित करने के एकमात्र उद्देश्य से” कर रहे हैं। इसमें दावा किया गया कि फरवरी 2021 में सतपंथी ट्रस्टियों ने ट्रैक्टर से कब्रों को “गुप्त रूप से ध्वस्त” कर दिया और पुलिस के हस्तक्षेप के बाद ही कब्रों को बहाल किया गया।

मूर्ति स्थापित करके दरगाह को अब एक मंदिर में बदल दिया गया है- याचिका में दावा

याचिका में आगे कहा गया है कि तार वाली बाड़ को दीवार से बदलने की जिला कलेक्टर की मंजूरी के बाद दरगाह का लगातार “अवैध” निर्माण और रूपांतरण हो रहा है। इसमें कहा गया है कि राज्य के अधिकारियों ने ट्रस्ट के सतपंथी सदस्यों के साथ “मिलीभगत से काम करते हुए”, “दरगाह को अब मूर्ति स्थापित करके एक मंदिर में बदल दिया है” और इसकी “आत्मा और सार” को बदल दिया है।

Teesta Setalvad Case: Gujarat High Court ने खारिज की तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका | Gujarat Riots | Video

10 अप्रैल, 2022 को दरगाह परिसर में रामनवमी का आयोजन, VHP का शक्ति प्रदर्शन

याचिका में दावा किया गया कि 10 अप्रैल, 2022 को दरगाह परिसर में रामनवमी का आयोजन किया गया था और विश्व हिंदू परिषद ने वीडियो प्रसारित कर हिंदुओं से अपनी ताकत दिखाने के लिए इसमें शामिल होने की अपील की थी। साथ ही यह दावा किया गया था कि विहिप दरगाह परिसर में भजन का आयोजन कर रहा है। याचिका में कहा गया है कि जहां हिंदू त्योहारों का आयोजन किया जा रहा है, वहीं “ट्रस्ट मुस्लिम समारोह आयोजित करने पर विचार नहीं करता है।”