एक शख्स साइकिल पर घूम-घूम कर बच्चियों को टाफियां देकर फुसलाता फिर मौका देखकर हैवानियत को अंजाम देता था। जब कई सालों बाद उसका भंडा फूटा तो लोगों ने उसे सीरियल बेबी किलर का नाम दिया गया। दरअसल यह कहानी है भारतीय वायु सेना में कभी अफसर रहे दरबार सिंह की जो शैतान बन गया था।

दरबारा सिंह का जन्म अमृतसर के ब्यास में 1952 में हुआ था। कुछ सालों बाद उसकी नौकरी एयर फोर्स में लग गई और बाद में वह 1975 के दौरान पठानकोट एयर फोर्स स्टेशन में बड़े पदों पर रहा। नौकरी के दौरान ही उस पर मेजर परिवार पर बम फेंकने का आरोप लगा था, लेकिन कुछ दिनों बाद वह इस मामले में बरी हो गया था।

दरबारा सिंह का नाम 1996 में कपूरथला में एक अप्रवासी मजदूर की नाबालिग बच्ची के साथ हुए बलात्कार और हत्या में सामने आया था। फिर रेप व हत्या के तीन अन्य मामलों में दरबार सिंह को 1997 को अदालत ने 30 साल की सजा सुनाई गई। कई सालों तक दरबारा सिंह कपूरथला जेल, जालंधर सेंट्रल जेल फिर लुधियाना सेंट्रल जेल भेज दिया गया। साल 2003 में अच्छे कामों को देखते हुए जेल से रिहा कर दिया।

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जेल से छूटने के बाद दरबारा सिंह के मन के अंदर यह बात बैठ गई कि अप्रवासी मजदूर के चक्कर में उसकी जिंदगी ख़राब हो गई। साल 2004 में अचानक आसपास के इलाकों में बच्चे गायब होने शुरू हो गए। अप्रैल महीने से अगस्त के बीच गायब हुए बच्चों की संख्या जब 20 से ऊपर पहुंची तो पुलिस के होश उड़ गए। मामलों में पुख्ता सबूतों के आधार पर पुलिस ने दरबारा सिंह को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उसके खुलासों ने सभी के होश उड़ा दिए।

दरबारा सिंह ने बताया कि उसने 17 बच्चों के साथ हैवानियत को अंजाम दिया और फिर उनकी लाशों को रय्या खडूर साहिब के पास दफना दिया। इन 17 बच्चों में 15 लड़कियां और 2 लड़के थे। इसके बाद भी पुलिस को उस पर संदेह था कि दरबारा ने शायद कई बच्चों के पहचान छुपा रखी थी। दरबारा सिंह के इस क्रूर कामों के चलते उसे सीरियल बेबी किलर का नाम दिया गया।

दरबारा सिंह अपने काम को अंजाम देने के लिए दोपहर में बच्चों को टॉफ़ी, मिठाई और समोसे से लुभाता था। इसके बाद साल 2008 में इस सीरियल बेबी किलर को मौत की सजा सुनाई गई लेकिन 2009 में इस सजा को रद्द कर दिया गया था। कई सालों तक सजा काटने के बाद दरबारा सिंह बीमार पड़ा और 6 जून 2018 को सरकारी अस्पताल में मौत हो गई। वहीं, मौत के बाद परिवार ने उसका शव लेने से भी इनकार कर दिया था।