दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव की ट्विटर अकाउंट से “ब्लू टिक” हटाए जाने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने के साथ ही उन पर लगाया 25,000 रुपये का जुर्माना गुरुवार को हटा लिया। रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी राव ने अदालत से बिना शर्त माफी मांगी और कहा कि वह एक पेंशनभोगी हैं, और “अपनी पहचान को सुरक्षित रखने के लिए ऐसा कह रहे थे।”

जुर्माना हटाते हुए जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता की ओर से बिना शर्त माफी मांगने को ध्यान में रखते हुए 17 मई 2022 को लगाए गए जुर्माने को हटाया जाता है।” अपने ट्विटर अकाउंट से ब्लू टिक हटाए जाने के खिलाफ राव की याचिका अदालत ने मई में खारिज कर दी थी और कहा था, “सात अप्रैल को निस्तारित रिट याचिका को ध्यान में रखते हुए यह रिट याचिका दाखिल करना बिल्कुल तर्कसंगत नहीं है।”

ट्विटर पर ब्लू टिक की बहाली की मांग करते हुए, राव ने अपनी दूसरी याचिका में तर्क दिया कि ट्विटर की कार्रवाई संविधान के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन है “क्योंकि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का कम करता है।”

राव ने कहा था कि उन्हें ब्लू टिक मिला था, लेकिन पिछले मार्च में हटा दिया गया था

अदालत ने सात अप्रैल को राव को ट्विटर द्वारा कोई प्रतिकूल निर्णय लेने की स्थिति में अपनी शिकायत के संबंध में उचित उपाय करने की छूट दी थी। याचिका में कहा गया था कि अदालत के आदेश के अनुसार वह ब्लू टिक के लिए फिर से अर्जी दाखिल कर रहे हैं। राव ने दावा किया था कि माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर उनके अकाउंट को ब्लू टिक मिला था, लेकिन मार्च 2022 में यह हटा दिया गया।

अपनी याचिका में, राव ने तर्क दिया कि ट्विटर ” सार्वजनिक कार्य” करता है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के प्रयोजनों के लिए ‘राज्य’ के रूप में उचित है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत इसे रिट जारी किया जा सकता है।