उत्तर प्रदेश पुलिस एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। एक महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जहां वह पुलिस पर अमानवीय व्यवहार का आरोप लगाते हुए आपबीती सुना रही हैं। महिला पेशे से पत्रकार हैं, उनका आरोप है कि एक पुलिसकर्मी उन्हें सुनसान रास्ते पर रोककर तलाशी लेना चाह रहा था, अपने वीडियो में महिला पत्रकार ने कहा कि अब तो डर लगने लगा है कि पता नहीं कब, कौन पुलिस वाला तलाशी के नाम पर शरीर टटोलने लग जाए। उन्होंने बताया कि घटना के वक्त पति भी साथ में मौजूद थे, जब पुलिसकर्मी को यह बताया कि वह पत्रकार हैं तो वह उल्टें पांव भागा। महिला पत्रकार का यह वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। इसे कई राजनीतिक और गैर-राजनीतिक हस्तियां साझा कर चुकी हैं।

महिला पत्रकार एक यूट्यूब चैनल के लिए काम करती हैं, घटना बुधवार 17 नवंबर की है। उन्होंने अपने वीडियो में बताया कि बुधवार को वह जब अपने गांव से लखनऊ अपने ऑफिस आ रही थीं, तभी लखनऊ एक्सप्रेस-वे से दो-तीन किलोमीटर आगे एक पुलिस वाले ने रोक लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मी ने उनके पति को धक्का मारकर गिरा दिया और गालियां बकते हुए तलाशी लेने की कोशिश की।

पत्रकार ने पुलिसकर्मी का एक वीडियो भी साझा किया, साथ ही मोटरसाइकिल का नंबर भी शेयर किया। कॉमेडियन राजीव निगम ने इस घटना का जिक्र करते हुए केंद्र सरकार को घेरते हुए केंद्रीय गृहमंत्री से सवाल किया, जिन्होंने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की पीठ थपथाई थी। उन्होंने लिखा कि शाह जी कभी इन बच्चियों की दूरबीन से भी कुछ देखिए। वहीं पत्रकार प्रज्ञा मिश्ना ने इस घटना पर नाराजगी जताते हुए लिखा कि वह पत्रकार थी इसलिए आरोपी पुलिसकर्मी वहां से भाग गया। उन्होंने तंजात्मक लहजे में कहा कि वह रात के 12 बजे गहने पहनकर निकलतीं तो शायद अपना सम्मान बचा सकती थीं।

जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश का दावा है कि राज्य में अपराधियों पर लगाम कसी गई है तो वहीं दूसरी तरफ पिछले कई मामलों में पुलिस का रवैया सवालों के घेरे में खड़ा नजर आया है। हाथरस से लेकर कासगंज तक पुलिस पर तमाम तरह के आरोप लगते रहे हैं।

वहीं अगर राज्य में अपराध पर लगाम की बात करें तो नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2020 के आंकड़ों के अनुसार राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में गिरावट जरूर देखी गई है। NCRB ने हाल ही में साल 2013 से 2020 में हुए महिला उत्पीड़न, एडिट अटैक, हत्या, लूट और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों का आंकड़ा जारी किया था। जिसके अनुसार महिलाओं के संबंधित अपराधों में 10 फीसदी की कमी आई है।