भारत में ट्रेन की कन्फर्म टिकट (Confirm Ticket) के नाम पर जनता से खुली लूट का काला खेल अरसे से जारी है। रेलवे पुलिस फोर्स ने ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर ट्रेन टिकट (Train Ticket) की फटाफट बुकिंग करता था। ज्यादातर टिकटों की बुकिंग कर यह गिरोह बाद में इन्हें ज्यादा कीमत पर बेचता था। रिपोर्ट के मुताबिक हर महीने करीब 15 करोड़ रुपए की कमाई करने वाला यह गिरोह टेरर फंडिंग से जुड़ा है। इसके तार बांग्लादेश से पाकिस्तान और दुबई तक जुड़े हैं। irctc.co.in पर इनके सैकड़ों अकाउंट हैं।

न ओटीपी जरूरी, न कैप्चा कोडः आमतौर पर जब हम ट्रेन टिकट बुक करते हैं तो ओटीपी और कैप्चा की प्रक्रिया में ज्यादा समय लग जाता है। सॉफ्टवेयर के जरिये यह गिरोह इन दोनों से बच जाता था, जिससे ट्रेन टिकट तेजी से बुक होती थी। आपकी बुकिंग प्रोसेस इस गिरोह की तुलना में करीब छह गुना ज्यादा समय लेती है।

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आरपीएफ ने गिरोह का संचालन करने वाले के साथ-साथ सॉफ्टवेयर डेवलपर को भी धर दबोचा है। गिरफ्तार आरोपी की पहचान झारखंड के गुलाम मुस्तफा के रूप में हुई है, जिसे भुवनेश्वर से पकड़कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। ANMS नाम का यह सॉफ्टवेयर इसी ने बनाया था। हैरानी की बात यह है कि मुस्तफा ने सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट से जुड़ी को औपचारिक पढ़ाई भी नहीं की है। उसके साथ-साथ गिरोह के 26 अन्य लोगों को भी पकड़ा है। मामले की जांच एनआईए और इंटेलीजेंस ब्यूरो भी कर रहे हैं।

3 हजार से ज्यादा बैंक अकाउंटः टिकट बुकिंग साइट IRCTC पर इस गिरोह के 563 अकाउंट्स हैं। हजारों एजेंट्स इस रैकेट से सॉफ्टवेयर भी खरीद चुके हैं। तीन हजार से ज्यादा बैंक अकाउंट रखने वाले इस गिरोह ने कई बार 85 फीसदी से भी ज्यादा टिकट खुद ही बुक किए थे। गिरफ्तार लोगों में कई बम धमाकों के आरोपी भी शामिल हैं। गिरोह के सरगना की पहचान उत्तर प्रदेश के रहने वाले हामिद अशरफ के रूप में हुई है।