इस मामले में अभी तक पुलिस के हाथ कोई ठोस सबूत नहीं लगा है। आरोपी आफताब पूनावाला के पुलिस हिरासत की अधिकतम अवधि 14 दिनों तक है, जो 26 नवंबर को समाप्त होने वाली है। ऐसे में दिल्ली पुलिस के सामने नई चुनौती है कि पूनावाला की हिरासत की अवधि खत्म होने से पहले उसके सारे जांच पूरी करा ली जाए। आफताब की अभी ‘पालीग्राफ’ जांच भी पूरा नहीं हुई है और ‘नार्को’ जांच भी होनी है।

उधर, दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त सागर प्रीत हुड्डा ने गुरुवार को कहा कि आफताब की पालीग्राफ जांच शुरू हो गई है। उसके खिलाफ महरौली थाना में मामला दर्ज है। पुलिस को जो हथियार आफताब की निशानदेही पर मिली है, उसे भी ‘फोरेंसिक’ जांच के लिए भेजा गया है और उसकी रिपोर्ट अभी आनी है। हालांकि हुड्डा ने यह साफ नहीं किया है कि पालीग्राफ जांच आगे भी चलेगी या गुरुवार को पूरी हो जाएगी।

वहीं दिल्ली पुलिस के अवकाश प्राप्त सहायक पुलिस आयुक्त वेदभूषण का कहना है कि यह मामला पेचीदा होता जा रहा है। श्रद्धा के कथित हत्यारे आफताब का शातिर दिमाग पुलिस को भ्रमित कर रहा है। पुलिस के लिए अदालत में आफताब को दोषी साबित करना एक बड़ी चुनौती है। करीब 12 दिनों की जांच के बाद भी पुलिस को कोई खास सबूत हाथ नहीं लगा है। अभी तक न तो हत्या में इस्तेमाल किया हथियार मिला है और न ही श्रद्धा की अस्थियां (बोन मैरो) और खोपड़ी मिली है। दो दिनों के पालीग्राफ को छोड़ दिया जाए तो अभी तक पुलिस के पास सबूत के तौर पर केवल आफताब का कबूलनामा ही है, अगर वो अदालत में इससे पलट गया तो उसे दोषी साबित करना बड़ी चुनौती बन जाएगा।

पुलिस अधिकारी कहते हैं कि कानून के मुताबिक 14 दिनों की पुलिस हिरासत समाप्त होने के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाएगा। पुलिस को मामले की जांच में जब जरूरत पड़ेगी तो अदालत की अनुमति के बाद आरोपी से जेल में पूछताछ की जा सकती है। आरोपी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने से जांच संभव भी नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि ‘पालीग्राफ’ जांच में दवा नहीं दी जाती, लिहाजा अगर वह कुछ छिपाता है तो ‘नार्को’ जांच में यह भी सामने आ जाएगा।