राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कई ऐसे गैंगस्टर हुए जिन्होंने कई सालों तक पुलिस की नाक में दम कर रखा। आज हम बात कर रहे हैं दिल्ली के कुख्यात गैंगस्टर विकास लगरपुरिया की। कभी दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाला छात्र जब विश्वविद्यालय से ड्रॉप आउट हुआ तब वो गैंगस्टर बनने की राह पर चल पड़ा। यहां आपको बता दें कि विकास हरियाणा के झज्जर जिले के बहादुरगढ़ स्थित लगरपुर गांव का रहने वाला है। जब वो गुनाह की दुनिया में मशहूर हुआ तब उसका नाम उसी के गांव पर विकास लगरपुरिया पड़ गया। बताया जाता है कि विकास एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता है। उसने शुरुआती तालीम झज्जर से हासिल की। शुरुआती दिनों में विकास पढ़ाई-लिखाई में ठीक-ठाक था। विकास रामलाल आनंद कॉलेज से ग्रेजुएशन कर रहा था पर ड्रॉप आउट होने के बाद उसका मन पढ़ाई से विचलित हो गया।
साल 2009 में विकास की मुलाकात उसी के गांव से सटे एक अन्य गांव के रहने वाले धीरपाला काना से हुई। धीरपाला का उस वक्त अपने इलाके में अच्छा-खासा दबदबा था। धीरपाला से दोस्ती होने के बाद विकास धीरे-धीरे जुर्म की दुनिया में दस्तक देने लगा। कहा जाता है कि शुरुआती दिनों में वो छोटे-मोटे लड़ाई-झगड़ों, चोरी और धमकी देने जैसी वारदातों में शामिल था। लेकिन धीरपाल की संगत में वो जल्दी ही बड़े-बड़े गुनाहों को अंजाम देने लगा। धीरपाल के गैंग में विकास लगरपुरिया का खास स्थान बन गया।
बात साल 2012 की है। अप्रैल के महीने में विकास पर आरोप लगा कि उसने टिंकू नाम के एक शख्स की घर में घुसकर हत्या कर दी है। कहा जाता है कि टिंकू से धीरपाल की अदावत थी और इसी रंजिश का बदला लेने के लिए उसने इस हत्याकांड को अंजाम दिया था। टिंकू खुद भी एक कुख्यात गैंग का सदस्य बताया गया था। टिंकू की हत्या के बाद विकास लगरपुरिया के नाम से लोग डरने लगे।
दिल्ली और हरियाणा से सटे जिलों में विकास और दुश्मन गैंग के बीच कई बार गोलीबारी हुई। ज्यादातर दिल्ली का बाहरी इलाका विकास के जुर्म का ठिकाना था। जब विकास पर कानून की नजरें टेढ़ीं हुईं तब उसके गैंग के कई सदस्य पकड़े गये पर विकास हर बार पुलिस से बच निकलता था।
कहा जाता है कि विकास ने महज 16 साल की उम्र में जुर्म की काली दुनिया में कदम रखा था। वो कितना शातिर था इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस से बचने के लिए वो मोबाइल तक नहीं रखता था। कहा जाता है कि विकास ने गप्चू पहलवान की हत्या के लिए कई दिनों तक उसके गर्लफ्रेंड की रेकी की थी और बाद में गप्चू की हत्या कर दी थी। लगरपुरिया और उसके गैंग की धमक ऐसी है कि इनके शिकार लोग डर के मारे ज्यादातर पुलिस केस भी नहीं कराते थे।
बताया जाता है कि 13 अप्रैल 2015 को भी लगरपुरिया और इसके गैंग ने एक करोबारी की पिटाई कर उससे मोटी रकम मांगी। इसी दिन नजफगढ़ इलाके में अग्रवाल स्वीट्स के मालिक संजय कुमार से 25 लाख रुपये की रंगदारी मांगी गई थी। मना करने पर दहशत फैलाने के लिए गोली भी चलाई गई थी। माना जाता है कि इस कांड में विकास लगरपुरिया शामिल था।
विकास लगरपुरिया पर कम से कम 16 केस दर्ज थे। इनमें हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी जैसे मामले थे। विकास लगरपुरिया को जब पुलिस ने पकड़ा तो वो काफी दिनों तक जेल में बंद रहा। साल 2015 में उसे गिरफ्तार कर भोंडसी जेल में रखा गया था। बाद में विकास ने अपने पारिवारिक सदस्य के बीमार होने का हवाला देकर अदालत से पैरोल मांगी थी। पैरोल मिलने के बाद वो वापस कभी नहीं लौटा।