Railway job racket masterminds arrested by police: दिल्ली पुलिस ने एक फर्जी रेलवे जॉब रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जो डीआरएम कार्यालय और रेलवे अस्पताल से रैकेट चला रहे थे। पुलिस ने बताया है कि रैकेट के मास्टरमाइंड को भी दबोचा गया है, जिसके पास लग्जरी कारें भी बरामद की गई हैं। पुलिस ने बताया है कि हाल ही में इसी गिरोह से जुड़े पांच लोगों को पकड़ा गया था जो खुद को टीटीई के रूप में लोगों के सामने पेश करते थे।

जॉब रैकेट का मास्टरमाइंड लड़ चुका है विधानसभा चुनाव

फर्जी रेलवे नौकरी रैकेट का भंडाफोड़ करने के बाद गिरफ्तार किए गए चारों की पहचान सुखदेव सिंह, संदीप सिदाना और उनके सहयोगी दीपक, राहुल के रूप में हुई है। मास्टरमाइंड सुखदेव सिंह एक बार पहले विधानसभा चुनाव लड़ चुका है जबकि संदीप पहले कॉल सेंटर में नौकरी करता था और वही फर्जी आईडी तैयार करने का काम करता था।

पुलिस के मुताबिक, इन सभी आरोपियों की गिरफ्तारी पहले धरे गए आरोपियों की निशानदेही पर हुई है। पुलिस ने इसी सिलसिले में रविवार को दिल्ली-एनसीआर में छापेमारी की और मास्टरमाइंडों को गिरफ्तार कर लिया। सुखदेव सिंह को गाजियाबाद के एक होटल से पकड़ा गया, जबकि संदीप सिदाना को भीकाजी कामा प्लेस से पकड़ा गया था। दोनों के पास से एक-एक मर्सिडीज और बीएमडब्ल्यू जैसी लग्जरी कारें बरामद की गई हैं।

पंजाब-दिल्ली में बनाया ठिकाना

न्यू सीलमपुर में एक कार डीलर के रूप में काम करने वाले सुखदेव ने संदीप के साथ मिलकर रेलवे की नौकरी पाने वाले अभ्यर्थियों को अपना निशाना बनाया। पुलिस ने कहा कि सुखदेव ने पंजाब के होशियारपुर में जॉब एजेंसी खोल खुद को सेटल किया जबकि दीपक-राहुल को क्रमशः पहाड़गंज स्थित डीआरएम ऑफिस और रेलवे अस्पताल में लगा दिया।

DRM ऑफिस और रेलवे अस्पताल से चला रहे थे रैकेट

सुखदेव-संदीप ने दीपक और राहुल को अपने साथ लिया क्योंकि दीपक कभी डीआरएम कार्यालय में संविंदा पर पंप ऑपरेटर था तो वहीं, राहुल के चाचा रेलवे एम्बुलेंस चालक हैं और उसकी मां स्टाफ क्वार्टर में काम करती थीं। इसलिए DRM ऑफिस और रेलवे अस्पताल में उनकी पहुंच आसान हो गई। ऐसे में जब कैंडिडेट आते तो वह डीआरएम ऑफिस में उनका फॉर्म भरवाते, फिजिकल टेस्ट करते और ब्लड सैंपल लेते थे, ताकि पूरी प्रक्रिया को भरोसेलायक बनाया जा सके।

फर्जी रेलवे जॉब रैकेट मामले में FIR दर्ज

पुलिस ने इस फर्जी रेलवे रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया और आईपीसी की धारा 419 (फर्जी पहचान से धोखाधड़ी), 420 (बेईमानी से बनाई गई संपत्ति), 468 (जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल), रेलवे एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की है।