‘मेरा एनकाउंटर नहीं करना’…कहा जाता है कि कभी सरेंडर करने के लिए कुछ इसी तरह की शर्तें भारत के दुश्मन नंबर एक दाऊद इब्राहिम ने भारत सरकार के सामने रखी थीं। जी हां, वो दाऊद इब्राहिम जो कई मुल्कों की पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुका है। वो अंडरवर्ल्ड डॉन जिसपर साल 1993 में मुंबई में बम ब्लास्ट करवा कर कई मासूमों की जान लेने का आरोप है वो माफिया कभी सरेंडर करना चाहता था।

मुंबई पुलिस के पूर्व पुलिस कमिश्नर एमएन सिंह ने एक साक्षात्कार में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसी खबरें चलाए जाने को लेकर कहा था कि दाऊद इब्राहिम ने जब जाने-माने वकील राम जेठमलानी से संपर्क कर अपनी शर्तें रखी थीं तब वो सरेंडर को लेकर हालांकि सीरियस नहीं था। क्योंकि अगर कोई इंसान वाकई में सरेंडर करना चाहता है तो इस तरह की शर्तें वो कभी नहीं रखता था। पूर्व पुलिस कमिश्नर के मुताबिक दाऊद सिर्फ एक भ्रम फैलाना चाहता था कि वो भारत में सरेंडर करना चाहता है लेकिन संबंधित अधिकारी उसे ऐसा करने से रोक रहे हैं।

कहा जाता है कि दाऊद इब्राहिम ने भारत आने के लिए देश के जाने-माने वकील राम जेठमलानी से संपर्क भी किया था। उस वक्‍त राम जेठमलानी का संदेश लेकर महेश जेठमलानी पूर्व कमिश्नर से मिलने आए थे। उन्‍होंने बताया था कि दाऊद सरेंडर करना चाहता है लेकिन उसकी कुछ शर्तें हैं। पहला शर्त ये कि मुंबई पुलिस उसका एनकाउंटर नहीं करेगी और दूसरी शर्त ये कि उस पर केवल मुंबई ब्‍लास्‍ट केस का ट्रायल चलाया जाएगा। इसके अलावा दाऊद ने एक और शर्त रखी थी और वो थी कि दाऊद को जेल में नहीं बल्‍कि हाउस अरेस्‍ट किया जाएगा।

एमएन सिंह के मुताबिक भारत सरकार ने उसकी पहली शर्त मान ली थी लेकिन अन्य 2 शर्तें मानने से इनकार कर दिया था। बता दें कि दाऊद एक गैंगस्टर था जिसपर बाद में आतंकवादी होने के आरोप लगे।

कभी मुंबई के डोंगरी इलाके में रहने वाला दाऊद इब्राहिम अशिक्षित था और उसके पिता शहर के पुलिस कॉन्स्टेबल थे। जरायम की दुनिया में आने के बाद दाऊद इब्राहिम ने कई बड़े अपराध को अंजाम दिया और फिर वो भारत छोड़ कर फरार हो गया।