दिल्ली की एक महिला ने अपने पिता की मदद से ससुर के खिलाफ करीब 8 साल पहले दुष्कर्म का झूठा केस दर्ज कराया था। पिछले 8 सालों से मुकदमा चल रहा था। अब दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को दोनों को फटकार लगाते हुए उन पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने महिला के ससुर, पति, नदद को दहेज प्रताड़ना के झूठे आरापों से भी बरी कर दिया है।

झूठे आरोपों से सख्ती से निपटने की जरूरत

73 पेज के इस फैसले में कोर्ट ने कहा कि “दुष्कर्म एक जघन्य अपराध है लेकिन ऐसे झूठे आरोपों से भी सख्ती से निपटने की जरूरत है। इससे आरोपी का बहुत अपमान होता है। मौजूदा केस में आरोप था कि ससुर ने अपनी बेटी की मदद से बहू के साथ घिनौना कृत्य किया है, जबकि भारतीय समाज में एक पिता और बेटी मर्यादा का पालन करते हुए इस तरह की बात ही नहीं करते हैं.”

आजीवन कारावास भी हो सकती है

कोर्ट के अनुसार, महिला ने आरोप लगाया था कि उसके ससुर ने उसके साथ दुष्कर्म किया था। अदालत ने आगे कहा कि “महिला के झूठे आरोपों में उसके पिता ने उसका साथ दिया। जो खुद एक वकील भी हैं।” इसके बाद जज ने कहा कि “खुद एक वकील होने के बावजूद उन्होंने शपथ की पवित्रता नहीं रखी और झूठी कहानियां बनाते रहे। यह साधारण बात नहीं है, यह गैर-कानूनी काम है और इसके लिए आजीवन कारावास भी हो सकता है।”

झूठा आरोप लगाना अपराध

इसके बाद कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि “महिला और उसके पिता ने जो किया है वह ना सिर्फ अतिशयोक्ति है बल्कि एक अवैध काम के दायरे में भी आता है। झूठा आरोप लगाना अपराध है। इस अदालत का मानना ​​है कि उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है।”

महिला की 2014 में हुई थी शादी

असल में शिकायत करने वाली महिला की 2014 में शादी हुई थी। जिसके बाद उसने अपने ससुराल वालों पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं उसने पिता समान अपने ससुर पर दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाया था। महिला के झूठे आरोपों का उसके मायके वालों ने भी साथ दिया था। इस मामले में 8 सालों बाद जाकर इस परिवार को न्याय मिला है।