देश के अपराध इतिहास में कई तरह के सीरियल किलर हुए, जिन्होंने अपने वारदात के तरीकों और अपने किस्सों से लाखों लोगों को सहमा दिया। ऑटो शंकर, लेडी किलर और साइनाइड मोहन जैसे किलर के बीच बीयर मैन का नाम था। इस सनकी कातिल ने एक समय में मुंबई की सड़कों में खून बहा दिया था।
साल 2006 और महीना अक्टूबर का था। मुंबई में आम दिनों की तरह लोग लोकल ट्रेन की ओर बढ़ रहे थे। तभी कुछ लोगों को मरीन लाइन स्टेशन के फुटओवर ब्रिज पर एक आदमी की लाश मिली। घटना की सूचना पर पुलिस पहुंची और पता चला कि लाश एक विजय नाम के टैक्सी ड्राइवर की थी। पीएम रिपोर्ट में पता चला कि उसकी पीट-पीटकर हत्या की गई थी।
इस घटना के दो महीने बाद फिर से दिसंबर में चर्च गेट स्टेशन में एक लाश मिली। यहां लाश के पास एक बीयर के खाली बोतल मिली। इसके बाद 15 जनवरी तक कुल 7 लाशें मिली। मरीन लाइन स्टेशन से चर्च गेट स्टेशन के बीच हुई इन सभी हत्याओं का एक ही तरीका था। मामलों में जांच हुई लेकिन फिर कातिल अब भी पुलिस की पकड़ से दूर था। आम लोगों के बीच दहशत का माहौल था।
मीडिया ने भी प्रमुखता से इस मामले को उठाया और इस कातिल को ‘बीयर मैन’ का नाम दिया गया। काफी तलाश के बाद थकी हारी मुंबई पुलिस ने एक एसआईटी बनाई। सबूत के नाम पर बस एक खाली बीयर की बोतल थी। पुलिस ने पूरी ताकत लगा दी फिर 22 जनवरी को 2007 को धोबी तलाव इलाके से रविंद्र कांतरोल नाम के शख्स को संदेह के आधार पर हिरासत में लिया। उसने खून के छींटों वाले कपड़े पहन रखे थे और एक खंजर बरामद हुआ था। फिर फरवरी महीने में हुए नार्को टेस्ट में आरोपी ने 15 हत्याओं की बात कबूली।
रविंद्र कांतरोल ने बताया कि वह नशे का लती है और उसी के चलते इन हत्याओं को अंजाम दिया। रविंद्र के मुताबिक, वह नशे के बाद अपने शिकार को पकड़ता फिर बीयर पीने को कहता। जब हत्याओं का कारण पूछा गया तो उसने बस इतना कहा कि उसे खून से प्यार है। तीन हत्याओं का मामला स्थानीय अदालत में गया तो उसे जनवरी, 2009 में एक कत्ल के आरोप में उम्रकैद मिली।
इसके बाद सितंबर, 2009 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में और पुलिस द्वारा पेश किए गए कई टेस्ट को अमान्य मानते हुए रविंद्र कांतरोल को बरी कर दिया। पुलिस ने उसे सजा दिलाने के लिए ब्रेन मैपिंग, नार्को टेस्ट, पॉलीग्राफ टेस्ट की रिपोर्ट दाखिल की थी लेकिन कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कांतरोल के खिलाफ फोरेंसिक रिपोर्ट मान्य नहीं हो सकती। हालांकि, बाद में रविंद्र कांतरोल ने अपना धर्म बदलकर नाम अब्दुल रहीम रख लिया था।