कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच अभी हाल ही में तेलंगाना के Nizamabad Government Hospital की लापरवाही से संबंधित एक तस्वीर सामने आई थी। इस तस्वीर में नजर आया था कि कोविड से मरे एक मरीज के शव को ऑटोरिक्शा में रखकर ले जाया जा रहा था। तस्वीर में नजर आ रहा था कि कोरोना रोगी के शव के हाथ-पैर ऑटो से बाहर लटक रहे थे। इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर देखने के बाद कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी और इसे कोरोना गाइडलाइंस का उल्लंघन बताया था।

इस घोर लापरवाही को लेकर बुरी तरह फजीहत झेलने के बाद निजामाबाद सरकारी अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेन्डेंट डॉक्टर नागेश्वर राव ने सोमवार (13-7-2020) को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। ‘The Indian Express’ से बातचीत करते हुए डॉक्टर नागेश्वर राव ने कहा है कि उन्हें ऐसा महसूस होता है कि वो नैतिक रूप से इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि ‘घटना के सामने आने के बाद से मैं खुद को दोषी महसूस कर रहा हूं। इस तरह की मानसिक अवस्था में मैं अस्पताल के अधीक्षक के तौर पर काम नहीं कर सकता। मैं Orthopaedic Department में प्रोफेसर के तौर पर अपनी सेवा जारी रखूंगा।’

सूत्रों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि डॉक्टर राव इस महामारी को लेकर अस्पताल में किये गये व्यवस्था से भी नाखुश थे। यहां आपको बता दें कि 10 जुलाई को सोशल मीडिया पर कोरोना मरीज की डेड बॉडी को इस तरह ले जाते एक तस्वीर वायरल हुई थी। उस वक्त निजामाबाद जिले के सरकारी अधिकारियों और सरकारी अस्पताल के अधिकारियों पर शव के डिस्पोजल को लेकर लापरवाही के आऱोप लगे थे। इस मामले में डायरेक्टर ऑफ मेडिकल एजुकेशन, डॉक्टर रमेश रेड्डी ने जांच के आदेश भी दिये थे।

जांच में यह बात सामने आई थी कि इस मामले में डॉक्टर नागेश्वर राव की कोई गलती नहीं थी। मृत शख्स के परिवार वालों ने एंबुलेंस का इंतजार करने से इनकार कर दिया था औऱ इसके बाद वो ऑटोरिक्शा से डेड बॉडी लेकर खुद ही चले गए थे। इस दिन अस्पताल में COVID-19 से तीन मरीजों की मौत हुई थी।

2 एंबुलेंस पहले से ही डेड बॉडी लेकर उनका अंतिम संस्कार करने गए थे। इसलिए प्रक्रिया के तहत मेडिकल स्टाफ ने डेड बॉडी को शीट में लपेट कर मृर्दागृह के पास रख दिया था और मृतक के परिजनों को एंबुलेंस का इंतजार करने के लिए कहा गया था।

इसपर उनलोगों ने कहा था कि वो एंबुलेंस के लिए 1-2 घंटे का इंतजार नहीं कर सकते हैं और इसके बाद वो शव को लेकर ऑटोरिक्शा में चले गए थे। अस्पताल की तरफ से एक कर्मचारी को भी उनके साथ भेजा गया था ताकि नियमपूर्वक शव का अंतिम संस्कार किया जा सके।

इस मामले में डॉक्टर रमेश रेड्डी ने मोर्चरी के कर्मचारियों के खिलाफ थाने में शिकायत कराने का निर्देश डॉक्टर राव को दिया था ताकि यह पता चल सके कि किसने कोरोना से संक्रमित डेड बॉडी को इस तरह ले जाने की इजाजत दी है? हालांकि मेडिकल सुपरिटेन्डेंट ने केस दर्ज कराने से इनकार कर दिया था और कहा था कि मृतक के रिश्तेदार जबरन मृत शरीर को अपने साथ ले गए थे।