उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार ने भ्रष्टाचार में संलिप्त और कार्य में ढिलाई बरतने वाले सरकारी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के सात अफसरों (पुलिस उपाधीक्षकों तथा सहायक सेनानायकों) को जबरन रिटायरमेंट दे दी। बता दें कि यूपी सरकार ने ये फैसला स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर किया है।
क्या बोले मुख्य सचिव: अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि स्क्रीनिंग कमेटी की संस्तुति पर शासन द्वारा निर्णय लेते हुए प्रान्तीय पुलिस सेवा संवर्ग के 50 वर्ष या उससे अधिक आयु के सात पुलिस उपाधीक्षकों/ सहायक सेनानायकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान कर दी गई है।
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इन पर हुई कार्रवाई: योगी सरकार ने जिन अधिकारियों पर कार्रवाई की है उनमें- अरुण कुमार (सहायक सेनानायक 15वीं वाहिनी पीएसी, जनपद आगरा), विनोद कुमार राना (पुलिस उपाधीक्षक जनपद अयोध्या), नरेन्द्र सिंह राना (पुलिस उपाधीक्षक जनपद आगरा), रतन कुमार यादव (सहायक सेनानायक 33वीं वाहिनी पीएसी, झांसी), तेजवीर सिंह यादव (सहायक सेनानायक 27वीं वाहिनी पीएसी, सीतापुर), संतोष कुमार सिंह (मण्डलाधिकारी मुरादाबाद) तथा तनवीर अहमद खां (सहायक सेनानायक 30वीं वाहिनी पीएसी, गोण्डा) को अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान की गयी है।
क्या हैं इसके मायने: जानकारों की माने तो सरकार के इस कदम को सरकारी कर्मचारियों के लिए एक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि गुरुवार को रिटायर किए गए अफसरों के खिलाफ करप्शन के गंभीर मामले सामने आए थे। अजिसके चलते योगी सरकार ने स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लेते हुए यह कार्रवाई है। इन अफसरों को भ्रष्टाचार में लिप्त और इनकी कार्यक्षमता को देखते हुए बर्खास्त किया गया है।