सेक्स सीडी केस में फंसे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि इस मामले के गवाहों को धमकियां दी जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सीडी केस के ट्रायल को सोमवार को रोक दिया। दरअसल सीबीआई ने इस केस को दिल्ली ट्रांसफर किये जाने को लेकर कोर्ट से गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को नोटिस भी थमाया है।

वरिष्ठ सरकारी वकील तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि गवाहों को धमकियां दी जा रही हैं। तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच से कहा कि ‘भूपेश बघेल के सीएम बनने से पहले सीबीआई ने इस केस में चार्जशीट दाखिल की थी।

भूपेश बघेल के सीएम बनने के बाद मामले के गवाहों को धमकियां मिलने लगीं।’ तुषार मेहता ने कहा कि ‘मामले से जुड़े गवाहों ने इस मामले में लिखित शिकायत दर्ज कराई है और कहा है कि राज्य पुलिस ने गवाहों और शिकायत कर्ताओं को डराने के लिए उनके खिलाफ केस दर्ज किया है।’

आपको बता दें कि साल 2017 में भारतीय जनता पार्टी के नेता राजेश मूनत ने एक शिकायत दर्ज कराई थी। उस वक्त राजेश छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री भी थे। राजेश ने कहा था कि उस वक्त पत्रकार विनोद वर्मा और राज्य कांग्रेस प्रमुख भूपेश बघेल उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए एक सेक्स सीडी का इस्तेमाल कर रहे थे। इस मामले में शिकायत दर्ज होने के बाद विनोद वर्मा को अक्टूबर, 2017 में गिरप्तार किया गया था।

वहीं भूपेश बघेल को सितंबर 2018 में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में सीबीआई ने वर्मा, बघेल और तीन अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था। उस वक्त भूपेश बघेल राज्य की रमन सिंह सरकार के खिलाफ कांग्रेस पार्टी का कैंपेन जोरशोर से चला रहे थे और उन्होंने बेल लेने से इनकार कर दिया था और कुछ दिनों तक न्यायिक हिरासत में ही रहे थे। बघेल ने साल 2018 के दिसंबर के महीने में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के तौर पर कमान संभाला था औऱ इस मामले को राजनीति से प्रेरित बताया था। (और…CRIME NEWS)