साल 2019 में मध्यप्रदेश के चित्रकूट में दो जुड़वा भाइयों की हत्या व अपहरण के चर्चित मामले की पूरे देश में चर्चा हुई थी। इस मामले में अपहरणकर्ताओं ने फिरौती की रकम लेने के बाद भी दोनों भाइयों की हत्या कर शव को जंजीरों में बांधकर यमुना नदी में डाल दिया था। ऐसे में आज आपको बताएंगे कि आखिर पूरा मामला क्या था ?

चित्रकूट के तेल व्यापारी ब्रजेश रावत दो जुड़वा बच्चों श्रेयांश और प्रियांश के पिता थे। उन्हें 12 फरवरी को पता चला कि उनके दोनों बेटों का अपहरण कर लिया गया है। श्रेयांश और प्रियांश, एमपी के चित्रकूट के सद्गुरु पब्लिक स्कूल में अपर केजी में पढ़ते थे और उस दिन स्कूल गए थे। लेकिन दोनों बच्चों को स्कूल से घर लौटते वक्त रास्ते में बंदूक की नोक पर स्कूल बस से ही किडनैप कर लिया गया था।

दोनों बच्चों को उठाने के बाद अपहरणकर्ताओं ने अलग-अलग फोन का इस्तेमाल कर परिजनों से फिरौती की मांग रखी। अपहरण करने वालों और परिजनों के बीच हुई बातचीत में 20 लाख रुपये फिरौती देने की बात तय हुई। दोनों बच्चों के परिजनों ने अपहरणकर्ताओं को 20 लाख रुपये फिरौती के तौर पर दे दिए, लेकिन उन लोगों ने 21 फरवरी को बच्चों की हत्या कर दी। साथ ही दोनों जुड़वा भाइयों के शव यमुना नदी में जंजीर से बांधकर डाल दिए, जिसे बाद में पुलिस ने बरामद कर लिया था।

इस जघन्य वारदात ने प्रदेश सहित पूरे देश को हिलाकर रख दिया। चित्रकूट में हत्या की घटना के विरोध में कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए मामला बढ़ा तो पथराव व आगजनी भी की गई। इसके बाद मामले में राजू द्विवेदी की गिरफ्तारी हुई और उसकी निशानदेही पर ही अन्य 5 आरोपी भी पुलिस द्वारा दबोच लिए गए। जिनमें से एक रामकेश यादव नाम का युवक भी था, जो इन बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था।

मामले में खुलासा हुआ तो पता चला कि दोनों बच्चों ने अपहरण करने वाले कुछ लोगों को पहचान लिया था, जिसके कारण बच्चों की हत्या कर दी गई। इस केस में एमपी चित्रकूट के पद्म शुक्ल, रोहित, पिंटू यादव, लकी तोमर, राजू द्विवेदी और रामकेश यादव को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने बताया था कि पूरे मामले का मास्टरमाइंड पद्म शुक्ल ही था।

दो जुड़वा भाइयों के अपहरण और हत्या मामले में आरोपियों पर विधिक कार्रवाई कर जेल भेज दिया गया था। वहीं एक बार यह केस तब फिर से चर्चा में आया, जब सतना केंद्रीय कारागार में बंद 26 वर्षीय रामकेश यादव ने 7 मई को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। रामकेश ने मंदिर में लगे लोहे के सरिये में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी, जब उसे अस्पताल ले जाया गया तो वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

वहीं इस मामले में जुलाई, 2021 को मध्यप्रदेश जिला सतना की एंटी डकैती कोर्ट में पांचों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इसमें कोर्ट ने तीन आरोपित को अपहरण व हत्या और दो अपहरण व साजिश का दोषी माना था।