चंबल नदी के किनारे के बीहड़ आज भले शांत हों लेकिन एक समय गोलियों की आवाजों से आसपास के गांव दहल जाते थे। यह बीहड़ डाकुओं के ठिकाना हुआ करते थे, जहां पुलिस भी जाने से कतराती थी। यहीं, मान सिंह नाम के एक डाकू ने साल 1939 से 1955 तक अपना दबदबा कायम रखा था। लोगों के अलावा अन्य डकैत गिरोह उसे दस्यु सम्राट कहा करते थे। जमींदारों व पुलिस की नजरों में मान सिंह की छवि डकैत की थी, जबकि गरीब उसे अपना मसीहा बताते थे।
मान सिंह का जन्म 1890 में दक्षिणी आगरा के खेड़ा राठौर गांव में एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था। एक समय चंबल घाटी की पहचान ही मान सिंह के नाम से की जाती थी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, साल 1955 में मध्य प्रदेश के भिंड क्षेत्र में अपने खात्मे के समय तक मान सिंह का चार राज्यों की पुलिस करीब 15 सालों से अधिक समय तक पीछा कर रही थी। मान सिंह पर करीब 112 डकैती, 185 हत्याओं के आरोप थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मान सिंह ने पुलिस के साथ हुई 80 से अधिक मुठभेड़ों में करीब 32 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। पुलिस ने मान सिंह को खामोश करने के लिए कई ऑपरेशन चलाए, जिनकी लागत करीब 1.5 करोड़ रुपये आई थी। मान सिंह का गांव में एक ब्राह्मण परिवार के साथ भूमि के एक हिस्से को लेकर विवाद हो गया था। इसमें, मान सिंह ने अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ ब्राह्मण परिवार के दो लोगों को मार डाला था।
इस वारदात के बाद मान सिंह, पुलिस से बचने के लिए अपने भाई, भतीजे और अपने बड़े बेटे के साथ फरार हो गया था और चंबल के बीहड़ों में शरण ले ली थी। ऐसा माना जाता है कि मान सिंह ने एक साथ पुलिस बल को रोकने के लिए कई छोटे दस्यु गिरोहों के गठन में मदद की। उसके गिरोह के सदस्य बाकायदा हथियारों को चलाने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करते थे। कहा जाता था कि उसका गिरोह उस वक्त स्वचालित राइफलों से लैस होता था।
मान सिंह के पास मुखबिरों का एक शानदार खुफिया नेटवर्क था। यह खुफिया नेटवर्क दुश्मनों से बदला लेने और पुलिसकर्मियों को चकमा देने में मदद करता था। मान सिंह के बारे में कहा जाता है कि वह एक डाकू था जो अमीरों को लूटता था लेकिन गरीबों को कभी परेशान नहीं करता था। स्थानीय लोगों के अनुसार, डाकू मान सिंह ग्रामीणों के बीच राजा मान सिंह के रूप में लोकप्रिय था। वह गरीबों की मदद करता और महिलाओं के साथ अन्याय नहीं होने देता था।
मान सिंह के बारे में यह भी कहा जाता था कि कई बार उसने गरीब परिवारों की लड़कियों की शादी का सारा खर्च खुद वहन किया था। मान सिंह, आज भी आगरा और आसपास के जिलों के कई गांवों में भगवान के रूप में पूजनीय है। बागी के सम्मान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आगरा जिले की बाह तहसील के अंतर्गत गांव खेड़ा राठौर में डाकू मान सिंह का मंदिर है। मंदिर में उसकी और उनकी पत्नी रुक्मणी देवी की मूर्तियां हैं जिनकी लोग पूजा करते हैं।