चंबल के बीहड़ में कई बागी पनपे और जरायम की दुनिया में अपना नाम खौफ के रूप में बनाया। लेकिन एक डकैत ऐसा भी था, जो कभी पुलिस के लिए मुखबिरी करता था लेकिन एक हत्याकांड के बाद उसने बंदूक थाम ली। नाम था भरोसी मल्लाह। भरोसी के बारे में कहा जाता था कि वह कद-काठी से बिल्कुल फिट था और तैराकी में माहिर था। इन्हीं खूबियों के चलते उसने पुलिस को करीब 30 सालों तक छकाया और अंत तक जिंदा नहीं पकड़ा गया।
चंबल के इलाके में भरोसी मल्लाह की पहचान एक खूंखार डकैत के तौर पर रही। भरोसी मल्लाह मध्य प्रदेश के सबलगढ़ तहसील के कलरघटी गांव का निवासी था, लेकिन कुछ साल बाद वह अपने परिवार के साथ वीरपुर में रहने लगा था। पुलिस के मुताबिक, साल 1985 तक भरोसी स्थानीय पुलिस का मुखबिर हुआ करता था। उसने मुखबिरी कर कई बदमाश व डकैतों को गिरफ्तार करवाया था।
हालांकि, साल 1987 में भरोसी ने गांव के ही एक युवक की हत्या कर दी। इसके बाद पुलिस ने भरोसी को गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया। भरोसी मल्लाह तीन साल तक जेल में रहा। फिर जब जमानत मिली तो 1990 में वह फरार हो गया। माना गया कि पुलिस के लिए अब एक और मुश्किल खड़ी हो चुकी थी और कुछ सालों बाद वैसा हो भी गया। जब उसने बीहड़ में बंदूक थामी तो एमपी-यूपी और राजस्थान पुलिस के लिए चुनौती बन गया।
भरोसी मल्लाह खुद भी मुखबिर था, जिसके चलते उसे पुलिस के सारे दांव-पेंच पता थे। इसी के चलते वह करीब तीन दशकों तक पुलिस के लिए चुनौती बना रहा। इस दौरान भरोसी मल्लाह ने राजस्थान के अलावा एमपी के कई इलाकों में 20 से ज्यादा अपराध कर डाले। इनमें हत्या, हत्या के प्रयास और अपहरण के मामले सबसे ज्यादा थे। इसके अलावा चंबल के किनारे बसे मल्लाह लोग उसकी सबसे बड़ी ताकत थे, दूसरा यह कि वह खुद भी तेज-तर्रार और अच्छा तैराक था।
साल 2015 में भरोसी मल्लाह अपने भाई को जेल से रिहा कराने के चक्कर में गलती कर बैठा। भरोसी ने कथित पुलिस मुखबिर सीताराम के बेटे तेजपाल मल्लाह का अपहरण कर लिया और 10 लाख रुपये की फिरौती मांगी। उसने मुरैना की जिला पुलिस को धमकी दी थी कि अगर उसके भाई भवानी मल्लाह को पुलिस हिरासत से रिहा नहीं किया गया तो वह सीताराम मल्लाह के बेटे तेजपाल को मार देगा।
इसी कांड ने मल्लाह समुदाय के भीतर भरोसी के प्रति गुस्सा भर दिया। फिर भारी दबाव के बीच उसे तेजपाल को छोड़ना पड़ा। पुलिस ने भी इस मामले का फायदा उठाया और फिर मुखबिरों ने साल 2016 के अगस्त में बताया कि भरोसी आधा दर्जन साथियों के साथ वीरपुर गांव में आया है। इसी के बाद 35 हजार के इनामी डकैत को पुलिस ने घेर लिया और जवाबी मुठभेड़ में दुर्दांत डकैत भरोसी को ढेर कर दिया।