गुजरात में स्नातक छात्रों के लिए प्रकाशित की गई समाजशास्त्र की किताब को लेकर बवाल मच गया। दरअसल इस किताब में आदिवासी समुदाय के लिए अपमानजनक संदर्भों का इस्तेमाल किया गया था, जिसका कांग्रेस ने विरोध किया था। इसके बाद किताब के निजी प्रकाशक ने पुस्तक के संदर्भ पर माफी मांगी और अपनी कंपनी की वेबसाइट पर किताब वापस लेने की भी सूचना दी है।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और शिक्षा मंत्री जीतू वघानी को पत्र लिखकर सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के छात्रों के लिए लाई गई पुस्तक को वापस लेने की मांग की और एक विशेष समुदाय की महिलाओं का अपमान करने के लिए प्रकाशक के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की।
अहमदाबाद स्थित प्रकाशक आर जमनादास एंड कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर घोषणा की कि किताब वापस ले ली जाएगी। “हमें समुदाय के नेताओं द्वारा सूचित किया गया था कि समाजशास्त्र पुस्तक ‘कौटिल्य’ में आदिवासी समुदायों पर दी गई कुछ जानकारियों से उन्हें चोट पहुंची है। ऐसे में हम दिल से क्षमा चाहते हैं। हम इन किताबों को तुरंत बाजार से वापस ले लेंगे।”
समाजशास्त्र का अध्ययन करने वाले द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिए उपलब्ध कराई गई यह पुस्तकें ‘कौटिल्य प्रश्नसंपुट’ स्वयं सहायता पुस्तकों की श्रृंखला का एक हिस्सा हैं। द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा एक्सेस की गई पुस्तक के एक हिस्से में वेश्यावृत्ति को एड्स के कारणों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसमें कहा गया था कि “शहरों, गांवों और आदिवासी समुदाय में वेश्यावृत्ति की प्रथा अनियंत्रित जारी है। सर्वे के मुताबिक कई वेश्याएं एचआईवी एड्स से संक्रमित हैं।”
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी ने सीएम भूपेंद्र पटेल और मंत्री जीतू वघानी को दी अपनी शिकायत में कहा, “एड्स के कारणों पर एक अध्याय में … आदिवासी समुदाय का अपमान करने के इरादे से एक निराधार टिप्पणी में लिखा है कि ‘आदिवासी समुदाय में वेश्यावृत्ति की प्रथा प्रचलित है।’ प्रिंटर और प्रकाशक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए दोशी ने कहा, “हम जमनादास एंड कंपनी के खिलाफ तत्काल शिकायत दर्ज करने की मांग करते हैं। एक खास समुदाय की महिलाओं का अपमान करने वाले जमनादास कंपनी के इस कदम का कांग्रेस पार्टी पुरजोर विरोध करती है।