बॉम्बे हाईकोर्ट ने देह व्यापार में शामिल 3 महिलाओं से जुड़ी एक मामले की सुनवाई करते हुए अहम निर्देश दिये हैं। गुरुवार को अदालत ने इससे संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए तीन महिला सेक्स वर्करों को ना सिर्फ रिहा कर दिया बल्कि यह भी कहा कि देह व्यापार कानून में अपराध नहीं है। अदालत ने यह भी कहा है कि महिला को अधिकार है कि वो अपना पेशा चुनें तथा बिना उनकी अनुमति के उन्हें हिरासत में नहीं लिया जा सकता है।
जस्टिस पृथ्वीराज चौहान ने कहा कि Immoral Traffic (Prevention) Act (PITA), 1956 देह व्यापार को खत्म करने वाला नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि ‘कानून के अंदर ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो देह व्यापार को आपराधिक गतिविधि बताता हो या इसमें शामिल किसी को दंड देने का अधिकार देता हो।’ अदालत ने साफ किया कि कमर्शियल जरुरत के लिए किसी इंसान को प्रताड़ित करना इस कानून के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आता है और इसपर सजा देने का प्रावधान है।
अदालत ने अपने इस अहम फैसले के बाद 20, 22 औऱ 23 साल की तीन महिलाओं को सम्मानपूर्वक रिहा कर दिया। इन तीनों को महिला हॉस्टल से गिरफ्तार किया गया था। बताया जा रहा है कि तीनों महिलाएं सेक्स वर्कर के तौर पर काम करती थीं।
इन तीनों को मुंबई पुलिस की सोशल सर्विस ब्रांच ने सितंबर 2019 में पकड़ा था। इन तीनों को एक फर्जी ग्राहक के जरिए पुलिस ने पकड़ा था। इसके बाद मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने इन तीनों को एक महिला हॉस्टल में रखे जाने का आदेश सुनाया था और प्रोबेशन ऑफिसर से मामले में रिपोर्ट मांगी थी।
19 अक्टूबर, 2019 को मजिस्ट्रेट ने इन तीनों युवतियों को उनके परिजनों को सौंपने से इनकार कर दिया था क्योंकि इन तीनों महिलाओं ने अपनी मां के पास जाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। इसके बाद मजिस्ट्रेट ने इन तीनों महिलाओं को उत्तर प्रदेश के एक हॉस्टल में रखे जाने का निर्देश दिया था।
इसके बाद तीनों महिलाओं ने अपने वकील के जरिए हाईकोर्ट का रुख किया था। अदालत ने कहा कि ‘याचिकाकर्ता बालिग हैं, लिहाजा उन्हें अपने मुताबिक रहने के लिए देश में कोई भी जगह चुनने का हक है और उन्हें अपना पेशा चुनने का भी हक है।’

